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जर्जर सड़कों ने बिगाड़ी बाबा नगरी की सूरत

मधेपुरा। नाम बड़े और दर्शन छोटे वाली कहावत बाबा नगरी ¨सहेश्वर स्थान के लिए बिल्कुल सटीक

By Edited By: Published: Sat, 03 Sep 2016 05:02 PM (IST)Updated: Sat, 03 Sep 2016 05:02 PM (IST)
जर्जर सड़कों ने बिगाड़ी बाबा नगरी की सूरत

मधेपुरा। नाम बड़े और दर्शन छोटे वाली कहावत बाबा नगरी ¨सहेश्वर स्थान के लिए बिल्कुल सटीक बैठती है। सड़क निर्माण कम्पनियां व मंदिर न्यास समिति की लापरवाही की वजह से बाजार क्षेत्र की सड़कों की हालत खस्ता है। सड़कों की दुर्दशा से आने जाने वाले श्रद्धालुओं को भी रू-बरू होना पड़ता है। सड़क पर जलजमाव एवं कीचड़ आने वाले श्रद्धालुओं की परेशानी को बढ़ा देती है। खासकर डाक बम या कांवर लेकर आने वाले श्रद्धालुओं को तो अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सावन में जागरण द्वारा लगातार दिए गए समाचारों के बाद तो सड़कों पर पैबन्द लगाने का प्रयास किया गया जो नाकाफी ही साबित हुआ। या ऐसा भी कहा जा सकता है कि गड्ढो को भरने के बाद सड़क पर कीचड़ और बढ़ ही गया।

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एनएच व आरडब्ल्यूडी है जिम्मेदार

तीर्थनगरी की सड़कों के दुर्दशा के लिए एनएच व आरडब्ल्यूडी जवाबदेही है। इन्हीं दोनों विभागों के अधीन की सड़कों का हालत सर्वाधिक बुरी है। मुख्य बाजार से गुजरने वाली सड़क जहां केन्द्र सरकार के एनएच विभाग के अधीन है जबकि शर्मा चौक से थाना होते हुए बिरैली बाजार तक जाने वाली सड़क आरडब्लूडी (ग्रामीण कार्य विभाग) के अधीन है। इन्हीं दोनों विभाग की सड़कें बाजार की मुख्य सड़क है। दोनों सड़कों की जर्जरता व दुर्दशा के कारण ही बाबा नगरी सुन्दर नहीं दिख पा रही है।

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एनएच की हालत सबसे खराब

बाजार होकर गुजरने वाली एनएच 106 की हालत बाजार आते आते और भी खराब हो जाती है। बाजार में जगह जगह बड़ा बड़ा गढ्ढा बन गया है। इसमें बरसात का पानी लगा जाने के बाद तालाब सा नजारा दिखने लगता है। मल्लिक टोला, दुर्गा चौंक, शर्मा चौंक, पेट्रोल पम्प के पास तो इस सड़क की हालत सर्वाधिक बदतर है। बीच सड़क में बन आए बड़े-बड़े गड्ढों की वजह से आए दिन दुर्घटना भी होता है। गड्ढों में जब पानी भरा रहता है तभी वाहन चालकों को पता नहीं चल पाता है। और ऐसी स्थिति में अक्सर दुर्घटना हो जाती है।

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बनने के कुछ माह बाद ही टूटी सड़क

शर्मा चौक से महावीर चौंक, थाना होते हुए बिरैली बाजार तक जाने वाली सड़क जीर्णोद्धार कार्य किए जाने के कुछ माह बाद ही टूटने लगी। सड़क में जगह-जगह इतने बड़ा-बड़ा गड्ढा हो गया है कि पैदल आना जाना मुश्किल है। श्रद्धालुओं को इस रास्ता से जाना एक बड़ा ही मुश्किल कार्य होता है। शर्मा चौंक से लेकर प्रखंड कार्य होता है। शर्मा चौंक से लेकर प्रखंड कार्यालय तक सड़क की स्थिति काफी दयनीय है। त्रिशुल चौंक के पास तो कई कई फीट तक गहरा गड्ढे है।

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रखरखाव अवधि में है दोनों सड़क

इस मामले में सबसे मजेदार और रोचक पहलू यह है कि जो दोनों सड़क जर्जर है वह दोनों ही सड़क जर्जर है वह दोनों ही सड़क मेंटेनेंस अवधि में है। मेंटेनेंस अवधि के दौरान सड़कों को दुरूस्त रखना संबंधित संवेदक का दायित्व होता है। जागरण ने जब इस आराम का समाचार सावन में लगातार प्रकाशित किया था तो दोनों ही विभागों ने तत्काल सड़क पर मैटेरियल गिराकर गड्ढ़ों को भरा। संवेदकों एवं विभाग के कार्यपालक अभियंता ने बरसात के बाद सड़क को पुरी तरह दुरूस्त करने की बात कही थी।

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मंदिर ट्रस्ट की सड़क भी जर्जर

इन दोनों सड़कों के अलावे मंदिर न्यास समिति के कार्यालय के सामने वाली सड़क भी काफी बुरी स्थिति में है। धनबाद गेट से लेकर पोखर के पूरब कोना तक के सड़क की हालत बरसात में नारकीय रहती है। न्यास समति ने इस सड़क को बनवाने का निर्णय भी लिया था। जिसके लिए कार्य भी प्रारंभ करवा दिया गया था। लेकिन न्यास समिति के एक सदस्य इसके विरूद्ध राज्य धार्मिक पर्षद चले गए। राज्य धार्मिक पर्षद ने तकनीकी त्रुटियों के आधार पर कार्य रोकने का निर्देश दिया था।


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