हर साल बढ़ रहा ¨सहेश्वर स्थान में कांवरियों का हुजूम
मधेपुरा। ¨सहेश्वर स्थान में भी धीरे-धीरे कांवरियों एवं डाक बमों के आने का सिलसिला लगातार जारी है।
मधेपुरा। ¨सहेश्वर स्थान में भी धीरे-धीरे कांवरियों एवं डाक बमों के आने का सिलसिला लगातार बढ़ते ही जा रही है। साल दर साल डाक बमों एवं कांवरियों की संख्या बढ़ी ही है। जबकि कांवर यात्रा या डाक बमों के लिए कोई भी सुविधा विकसित नहीं है। लेकिन भक्त भी कहां मानते हैं। बिना सुविधाओं के ही बरारी घाट, महादेवपुर घाट आदि गंगा घाटों से जल लेकर पैदल यहां तक आते हैं। और बाबा का जलाभिषेक करते हैं। डाक बम तो लगातार चलते हुए आते हैं। रास्ते में सुविधाएं के नाम पर ग्रामीण सेवा में लगे रहते हैं।
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विजय घाट के बाद बढ़ी संख्या :
पहले अधिकार कांवरिए अथवा डाक बम अगुवानी घाट से गंगाजल लेकर यहां आते थे लेकिन डुमरी पुल टूटने के बाद यह मार्ग बंद हो गया। इधर चौसा के पास विजय घाट पर पुल बनने के बाद भागलपुर से दूरी घटी और श्रद्धालु बरारी घाट से गंगाजल लेकर आने लगे। बरारी घाट से गंगाजल लेकर चलने वाले कांवरियां एवं डाक बम नवगछिया, चौसा, उदाकिशुनगंज होते हुए ¨सहेश्वर स्थान तक आते हैं।
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सोमवार को हजारों डाक बम हैं बाते यहां :
सावन में कांवरियों एवं डाक बम का आना लगा रहता है। लेकिन सावन के सोमवार को यह संख्या काफी बढ़ जाती है। सोमवार को जलार्पण करने के लिए श्रद्धालु रविवार को ही गंगा घाट पर जल लेकर निकल पड़ते हैं। रविवार की रात्रि जिन गांवों से डाक बम गुजरते हैं उन गांवों के ग्रामीण सेवा के लिए तत्पर रहते हैं। रात-रात भर जागकर ग्रामीण डाक बमों की अलग अलग तरीकों से सेवा करते हैं। कहीं रौशनी की व्यवस्था हुई रहती है तो कहीं गर्म पानी की व्यवस्था रहती है। लगातार पैदल चलने वाले डाक बमों को गर्म पानी की बौछाड़ देने के बाद पैरों को काफी आराम मिलता है। वहीं जत्थों में निकले वाले डाक बमों के ग्रुप के सेवा कम भी खासी संख्या में जाते हैं। जो डाक बमों की सेवा करते हुए लाते हैं।
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बाबा धाम की तरह बने कांवरिया मार्ग :
बाबा धाम की तरह अगर निकटतम किसी गंगा घाट से लेकर ¨सहेश्वर स्थान तक कांवर मार्ग मनाया जाय तो कांवरियों की संख्या लाखों तक पहुंच सकती है। स्थानीय लोगों की भी यह मांग हो रही है। जिला प्रशासन की पहल पर अगर राज्य सरकार इस हेतु ध्यान दें यहां आम श्रद्धालुओं के साथ साथ काफी तादाद में कांवरिए भी आने लगे हैं।