विश्वविद्यालयों की जांच समिति मुद्दे पर प्राध्यापक और कर्मचारी संघ का मतभेद
मधेपुरा, प्रदीप कुमार झा : भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ व शिक्षकेत्तर कर्मचारी संघ राज्य सरकार द्वारा वी.एस.दूबे की अध्यक्षता वाली त्रिसदस्यीय जांच समिति के गठन को लेकर अलग-अलग मत रखते हैं। यह समिति विश्वविद्यालयों के स्वीकृत पदों पर नियुक्ति, प्रोन्नति, वेतन निर्धारण, बकाया वेतन, पेंशन आदि मामलों की जांच के साथ-साथ अन्य अनियमितताओं की भी जांच करेगी। मंडल विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव डा.अशोक कुमार का कहना है कि चूंकि राज्य सरकार ही विश्वविद्यालय का वेतनादि भेजती है इसलिए अगर जांच कराती है तो इसमें बुराई क्या है। दरअसल नियुक्ति, प्रोन्नति एवं वेतन निर्धारण सभी समिति में राज्य सरकार के प्रतिनिधि रहते हैं। फिर इसकी जांच किसी समिति से कराना चाहती है तो यह कहीं से विश्वविद्यालय के मामले में हस्तक्षेप नहीं माना जाना चाहिए। अगर यह समिति या राज्य सरकार विश्वविद्यालय के नियम-परिनियम के विरुद्ध निर्णय देती है तो फिर पीड़ित पक्ष न्यायालय तो जा ही सकते हैं। लेकिन विश्वविद्यालय शिक्षकेत्तर संघ के अध्यक्ष त्रिभुवन प्रसाद सिंह इसे विश्वविद्यालय की स्वायतता पर खतरा मानते हैं। राज्य सरकार ने ही विश्वविद्यालय की स्वायतता को माना है और विवि को वेतन से लेकर पेंशन तक निर्धारण का अधिकार दिया है। अभी भी राज्य सरकार के ही अंकेक्षक विश्वविद्यालय में वित्तीय मामलों का अंकेक्षण करते हैं फिर अनियमितता कहां है जो समिति गठित की जा रही है। हमारा संघ इस समिति का विरोध करता है।
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