बीमारी से बचाव को रहना होगा जागरूक
मधेपुरा। सदर अस्पताल परिसर स्थित नशा मुक्ति केन्द्र में सोमवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं स्वास्थ्
मधेपुरा। सदर अस्पताल परिसर स्थित नशा मुक्ति केन्द्र में सोमवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में नवजात में होने वाले पांच प्रकार के खास बीमारी से बचाव की जानकारी दी गई। कार्यशाला में एएफपी रोग पर विशेष रूप से चर्चा की गई।
कार्यशाला में विश्व स्वास्थ्यय संगठन के एसएमओ डॉ. आशीष कुमार ने कहा कि कि एएफपी
(एक्यूट फ्लासीड पारालाइसिस) रोग में 15 वर्ष तक के किसी भी बच्चे का कोई भी अंग किसी भी कारण से अचानक कमजोर पड़ जाता है तो इसकी रिपोर्टिंग करें। ताकि वैसे मरीज का मल जांच में भेजा जा सके। साथ ही घर-घर भ्रमण कर 15 वर्ष तक के कम से कम पांच सौ बच्चे का सर्वे कर विगत छह माह के अंदर प्रतिवेदित करें।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एके वर्मा ने बच्चों में होने वाले कुकुरखांसी, खेसरा, काली खांसी, नवजात टिटनस के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी दिया। साथ ही इन बीमारियों से बचने के उपाय के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि खसरे की बीमारी विषाणु के कारण होती है जो विषाणु सिर्फ मनुष्य के शरीर में पाया जाता है। खसरा श्वांस के माध्यम से फैलता है। यह संक्रामक रोग है जो संक्रमित व्यक्ति के साथ रहते हैं वो भी खसरा रोग से ग्रसित हो जाते हैं।
खसरा हर उम्र के लोगों को हो सकता है। खसरा की वजह से अंधापन, मस्तिष्क ज्वर, निमोनियां एवं दस्त, कान से पानी बहना आदि रोग हो सकता है। खसरा से बचने के लिए बच्चे को नौ से 12 माह के बीच पहला टीका, 16 से 24 माह के बीच दूसरा टीका के अलावा खसरे के चलाये जा रहे अभियान के तहत खसरे का अतिरिक्त टीका भी लगवाएं।
कार्यशाला में डब्लूएचओ के एफएम अरशद अली, डीएस डॉ. अखिलेश कुमार, डॉ. विपिन कुमार, डॉ. डीपी गुप्ता, डॉ. सुमन कुमार झा, डॉ. अरके रवि, डॉ. बीभा रानी, संदेश, डॉ. विपुल कुमार, अस्पताल मेनेजर संजीव कुमार, कुमार नवनीत चन्द्रा, नौशाद आलम सहित अन्य मौजूद थे।