'कला क्षेत्र का नहीं होता मोहताज'
मधेपुरा। बुधवार को समीधा ग्रुप परिसर में स्थित चन्द्रतारा मेमोरियल हाल में मधेपुरा के दो विभूति राष्
मधेपुरा। बुधवार को समीधा ग्रुप परिसर में स्थित चन्द्रतारा मेमोरियल हाल में मधेपुरा के दो विभूति राष्ट्रपति सम्मान प्राप्त सेवानिवृत्त शिक्षक सत्यनारायण झा और फिल्मी जगत में अपना लेखनी का जादू चला चुके गीतकार राजशेखर का पूर्ण मिथिला रिवाज से चादर पर पाग पहना कर नागरिक सम्मान किया गया।
विशिष्ट अतिथि के तौर पर साहित्यकार शम्भू शरण भारतीय, साहित्यकार अरविन्द श्रीवास्तव, साहित्यकार शाति यादव, मुख्य अतिथि के तौर पर चंद्रशेखर, मंच संचालक हर्षवर्धन राठौर, आयोजनकर्ता समीधा गु्रप के सचिव संदीप शाण्डिल्य आदि मौजूद थे मौजूद थे। युवा छात्र साहित्यकारों के तौर पर कार्यक्रम में मोनी सिंह, अंशू, आशीष सोना, प्रभाकर कुमार, कुमार आशुतोष झा, मनीष कुमार, सूरज कुमार के साथ काफी संख्या में छात्र मौजूद थे। मौके पर शंभू शरण भारतीय कहा कि कला क्षेत्र सीमा का मोहताज नहीं होता जिस प्रकार राजशेखर ने बहुत कम समय में जो उपलब्धि हासिल की हैं वो युवाओं के लिए प्रेरणाश्रोत हैं और सत्यनारायण झा ने राष्ट्रपति सम्मान प्राप्त कर मधेपुरा के धरती को एक नई पहचान दी हैं।
साहित्यकार अरविन्द श्रीवास्तव कहा कि आप दोनों मधेपुरा के वो रत्न हैं जिन्होंने मधेपुरा को एक नई उचाई दी हैं। साहित्यकार श्रीमती शाति यादव ने कहा कि आसमान के बुलंदियों को छूने के बाद भी आप जमीन से जुड़े हैं ये बहुत बड़ी बात हैं। निश्चित तौर पर आपने पथप्रदर्शक की भूमिका निभाई हैं। मौके पर आयोजनकर्तासंदीप शाण्डिल्य, सचिव समीधा ग्रुप ने कहा कि यह सम्मान समारोह बस औपचारिकता के लिए था दरअसल आज के इस समारोह का उद्देश समाज को इस बात की जानकारी देना हैं की लीक से हट कर भी बहुत काम ऐसा होता हैं जिसमें बच्चे आगे बढ़ सकते हैं। बिना नवाचार अपनाए हुए सही मायने में विकास के बातें करना नासमझी हैं। मौके पर बैठे छात्रों ने राजशेखर से कैरियर संबंधित बहुत सारे प्रश्न पूछे जिसका बहुत सरलता से दिया।