सारथी ने भी थाम ली 'गांडीव', अधर में 'विजयी रथ'
मधेपुरा [धर्मेद्र भारद्वाज]। कल तक साथ रहकर चुनावी गणित तैयार करने वाले अब खुद प्रत्याशी से अलग होकर
मधेपुरा [धर्मेद्र भारद्वाज]। कल तक साथ रहकर चुनावी गणित तैयार करने वाले अब खुद प्रत्याशी से अलग होकर मैदान में आ गए हैं। पार्टी से अलग होकर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। उन्हें लग रहा है कि जब वे जीत का सेहरा पहना सकते हैं तो क्या खुद नहीं पहन सकते। ऐसे में समीकरण गड़बड़ा गया है। यूं कहें कि सारथी ने खुद गांडीव थाम ली है। फलाफल मुख्य प्रत्याशियों के विजयी रथ पर ग्रहण लगता दिख रहा है।
जिले में चार विधानसभा है। सभी विधानसभा में इस प्रकार की समस्या देखने को मिल रही है। प्रत्याशी परेशान हैं। मनाने में लगे हैं लेकिन स्थिति संभल नहीं रही। चुनाव परिणाम ही बताएगा कि पार्टी से अलग होकर मैदान में उतरे प्रत्याशियों से क्या प्रभाव पड़ा।
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चारों विधानसभा बिगड़ गया है खेल
प्रत्याशी के घोषणा के बाद चारों विधानसभा में खेल बिगड़ गया है। प्रत्याशी के करीबी ने भी दूरी बना ली है। कई ने तो खुद मैदान में आने की घोषणा कर दी है। मधेपुरा विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां भाजपा से विजय कुमार विमल को प्रत्याशी बनाया गया है। लेकिन पार्टी में इस लेकर नाराजगी है कि वे कुछ दिन पहले ही पार्टी में शामिल हुए थे। पार्टी में वर्षो सेवा करने वालों को नजर अंदाज कर दिया गया। अंदर ही अंदर आग सुलग रही है। वहीं राजद प्रत्याशी प्रो.चंद्रशेखर के खिलाफ भी कार्यक्रर्ताओं में आक्रोश है। नप अध्यक्ष विशाल कुमार बबलू ने तो पार्टी से बगावत कर निर्दलीय मैदान में आने की घोषणा तक कर दी है। जबकि राजद से नाता तोड़कर अशोक यादव भी जनअधिकार पार्टी से मैदान में आने का मन बना चुके हैं।
सिंहेश्वर विधानसभा में हम के प्रत्याशी मंजू देवी को भी कार्यकर्ताओं का कोपभाजन बनना पड़ रहा है। एक गुट तो पार्टी से अलग होकर खिलाफ में रणनीति बना रही है। बिहारीगंज की बात करें तो यहां के विधायक रेणु कुशवाहा द्वारा जदयू छोड़ भाजपा में चले जाने के बाद यह कयास लगाया जा रहा था कि पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे राजद के ई.प्रभाष को मौके मिलेगा। लेकिन जदयू ने यह सीट नहीं छोड़ा और निरंजन कुमार मेहता को प्रत्याशी घोषित कर दिया। इससे कार्यकर्ताओं में आक्रोश भड़का। पार्टी के ही मनोज कुमार यादव ने निर्दलीय मैदान में आने की घोषणा की है। जबकि जदयू में प्रदेश स्तर पर राजनीति करने वाले बीबी प्रभाकर ने भी पार्टी के निर्णय को गलत करार देते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने की बात कही है। यहां कुछ दिन पहले भाजपा में शामिल हुए डा. रवींद्र चरण यादव को प्रत्याशी बनाये जाने पर कार्यकर्ताओं में रोष है।
आलमनगर की बात करें तो यहां जदयू प्रत्याशी नरेंद्र यादव के खास माने जाने वाले वहां के एक प्रमुख ने ही उनके खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। इस स्थिति में प्रत्याशी का रथ विजयी पताखा लहरायेगा कि नहीं समय ही बताएगा।
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किया जा रहा मान-मनौव्वल
मैदान में आने की घोषणा के बाद प्रत्याशी द्वारा मान-मनौव्वल का दौर शुरू हो चुका है। किसी प्रकार बिगड़े लोगों को पक्ष में करने की रणनीति तैयार हो रही है। बात की जा रही है। किसी प्रकार गुस्सा कम हो और उन्हें पक्ष में किया जा सके। लेकिन फिलहाल स्थिति को देखते हुए यह संभव नहीं लग रहा। खैर, आने वाले समय में सबकुछ साफ हो जाएगा..।