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अकीदत के साथ रोजदारों ने अदा की जुमे की नमाज

मधेपुरा। रमजान के दूसरे जुमे का नमाज जामा मस्जिद में अकीदत के साथ अदा की गई। उपर से धूप-गर्मी और नीच

By Edited By: Published: Fri, 03 Jul 2015 07:59 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2015 07:59 PM (IST)
अकीदत के साथ रोजदारों ने अदा की जुमे की नमाज

मधेपुरा। रमजान के दूसरे जुमे का नमाज जामा मस्जिद में अकीदत के साथ अदा की गई। उपर से धूप-गर्मी और नीचे भींगी जमीन होने के बावजूद बड़ी संख्या में लोगों द्वारा नमाज अदा की। नमाज में छोटे-बड़े, बूढ़े बच्चे सभी शामिल हुए। अधिक संख्या के कारण बड़ी मस्जिद के अंदर और छत पूरी तर भर गया तो दोनों ओर स्थित सड़क पर भी चादर बिछाकर नमाज अदा की गई। नमाज के दौरान मुख्य मार्ग पर ट्रैफिक जारी रहने के कारण जहां वाहनों की जाम लगी वहीं नमाजियों को भी तकलीफ हुई। ऐसी स्थित में मस्जिद के दोनों ओर वाहनों के प्रवेश पर नमाज के दौरान प्रतिबद्ध लगाने की भी मांग की गई। कुमारख्ाड संवाद सूत्र के अनुसार, जुमा की नमाज को छोटी ईद की नमाज भी कही जाती है। रमजान के जुमा की नमाज की अहम है। रमजान के महीने के तीन असरे में से दुसरे असरा मगफिरत का चल रहा है और अगला तीसरा असरा आग से खलासी का शेष रह गया है। मौके पर जामा मस्जिद रामनगर बाजार के इमाम हाफिज कैयूम ने कहा कि रमजान रहमतों वाला महीना है। रमजान के इस असरे मगफिरत वाले असरे में रोजेदारों के गुनाहों से मुक्ति दी जाती है। इस महीने में औरों के साथ नरमी करनी चाहिए। इस महीने की बहुत बड़ी अजमत है। इस महीने में सभी आसमानी किताब नाजिल(अवतरित)हुए हैं। करान-ए-पाक लौहे महफूज से इसी महीने में नाजिल हुआ था। इसमें मुकम्मल 23 साल लगे थे।


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