जिले में बढ़ रही कालाजार रोगियों की संख्या
मधेपुरा। कालाजार रोग पर अंकुश लगाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जा रहा प्रयास पूरी तरह विफल
मधेपुरा। कालाजार रोग पर अंकुश लगाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जा रहा प्रयास पूरी तरह विफल साबित हो रहा है। कालाजार रोगी के आंकड़ों पर गौर करे तो आंकड़ा पूर्व के वर्षो से कहीं अधिक देखने को मिल रहा है। कालाजार पर रोक लगाने को लेकर विभाग प्रभावित क्षेत्रों में नियमित रूप से डीडीटी का छिड़काव कराया जा रहा है। फिर भी रोगी की संख्या बढ़ती ही जा रही है।
गत वर्ष जनवरी से जून माह तक जिले में 64 कालाजार रोगी थे। इस वर्ष जनवरी से जून माह तक रोगियों की संख्या बढ़कर 127 हो गई है। जबकि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कालाजार प्रभावित गांव में नियमित रूप से निर्धारित माह में डीडीटी का छिड़काव करवाया जाता है। जिले के सर्वाधिक कालाजार प्रभावित प्रखंडों में आलमनगर, पुरैनी, चौसा, कुमारखंड, शंकरपुर, घैलाढ़ आदि शामिल है। कालाजार बालू मक्खी के काटने से होता है। बालू मक्खी को नष्ट करने के लिए डीडीटी का खिड़काव किया जाता है। परन्तु बालू मक्खी पर डीडीटी का छिड़काव का भी असर नहीं दिख रहा है। कालाजार रोग के बढ़ते प्रकोप के बाबत सिविल सर्जन डॉ. जेपी मंडल ने बताया कि कालाजार रोगी का इलाज एम्बीजॉब सूई से किया जाता है जो पड़ोस के जिले में नहीं किया जाता है। इसी लिए पड़ोस के जिलों से भी कालाजार के रोगी आ रहे हैं। विभागीय आंकड़े के अनुसार जनवरी से जून 2015 तक कुल 127 कालाजार रोगियों में मात्र 19 रोगी ऐसे हैं जो अन्य जिलों के हैं जबकि 108 रोगी इसी जिले के हैं।