होली की तैयारी पूरी
संवाद सूत्र, मधेपुरा : जिले के विभिन्न भागों में शुक्रवार को आयोजित होने वाले होली पर्व को लेकर लोगो
संवाद सूत्र, मधेपुरा : जिले के विभिन्न भागों में शुक्रवार को आयोजित होने वाले होली पर्व को लेकर लोगों ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली है। बेशक होली में पारंपरिक पकवान बनाने की तैयारी में गृहस्वामी हांफ रहे हो। किंतु महंगाई के बाद भी सभी सामग्रियों की खरीदारी के लिए लोगों ने कमर कस ली है।
क्या कहते हैं गृहस्वामी : होली की तैयारी में जुटे मो. खतीब का कहना है कि भले ही हमलोगों में होली वृहत रूप में नहीं मनाया जाता है। किंतु होली के दिन मिथिला में बनने वाले पकवान हमलोगों के घर में भी बनायी जाती है। महंगाई के बावजूद पकवान की तैयारी कर ली गई है। ग्वालपाड़ा निवासी किसान धर्मेन्द्र कुमार का कहना है कि विगत सालों में होली के समय गेहूं की फसल तैयार हो जाती थी। गेहूं पक जाने के कारण किसानों को काफी सुविधा होती थी लेकिन इस बार बाजार से ही गेहूं तथा शक्कर खरीद कर ही होली मानया जाएगा जिससे किसानों पर आर्थिक भार पड़ेगा। व्यवसायी लाल प्रसाद गुप्ता का कहना है कि लोगों को उम्मीद थी कि आम लोगों के लिए बेहतर बजट मोदी सरकार का तोहफा होगा किंतु बजट ने महंगाई को हवा दे दी लिहाजा आम लोगों की हवा होली में ही निकल गई। बीएन मंडल विश्वविद्यालय में कुलपति के पीए पद पर पदस्थापित शंभू नारायण यादव ने कहा कि होली उत्साह का पर्व है। उत्साह के बीच महंगाई कभी आड़े नहीं आ सकती लिहाजा जिस तरह से हम लोग परंपरागत रूप से होली खेलते आ रहे हैं उसी तरह से इस बार भी होली में रंगों की बारिश होगी और जॉनी के थिरकन पर जोगिरा गाया जाएगा। मधेपुरा के प्रसिद्ध महिला रोग व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. नायडु कुमारी का कहना है कि होली के समय खासकर तब रंग में भंग हो जाता है जब हम होली खेलने समय संवेदनशील नहीं होते हैं। उन्होंने गर्भवती महिलाओं को सलाह दिया कि होली के हुरदंग से बचे। होली में तैलीय पदार्थो में बना व्यंजनों का प्रयोग नहीं करें तथा कृत्रिम रंगों से होली न खेले। रसायनिक पदार्थो से बना रंग शरीर तथा गर्भ में पल रहे बच्चा के लिए हानिकारक होता है। इससे बच्चा को नुकसान होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
क्या कहते हैं युवा : युवाओं में होली को लेकर काफी उत्साह रहता है। होली के दो दिन पूर्व ही स्कूलों व कालेजों से अवकाश मिल जाने के कारण युवा होली की तैयारी अपने साथियों के साथ कर लेता है। युवा ललन कुमार का कहना है कि होली को ले टोली बनाई जाती है तथा हर टोली में शामिल सदस्य पूरे दिन अपने समाज के लोगों के साथ रंग खेलते हैं तथा शाम को जोगिरा गाते हुए घर-घर घुमते हैं। सचेन मल्लि्क का कहना है कि साल में एक बार होली के समय अपने परिवार के सदस्यों के बीच बैठ कर मदीरा का पान करते हैं और जोश-खरोश के साथ होली मनाते हैं। होली में परिवार के सदस्य भी हमें पूरी आजादी देते हैं। आयुष कुमार दूबे का कहना है कि समाज काफी तेजी से बदल रहा है। इंटरनेट तथा वाट्सएप के इस दौर में परंपरागत जोगिरा का कोई स्थान नही रह गया है। छात्र अंकेश व बादल कुमार का कहना है कि होली में हम पूरा मस्ती करते हैं। न स्कूल न कोचिंग पूरी आजादी के साथ हम मौज मस्ती करते हैं।
क्या कहती है युवती : युवतियां हेमताज, शबाना, मधु इत्यादी का कहना है कि होली में लड़कियों की स्वतंत्रता समाप्त हो जाती है। सभी वर्गो की लड़कियां आपस मे रंग-गुलाल तो खेलती है किंतु कभी-कभी होली की हुरदंग में कई लड़कियां छेड़खानी का भी शिकार हो जाती है जो दु:खद है।