स्वास्थ्य सेवा चरमराने से मरीजों में हाहाकार
जागरण संवाददाता, मधेपुरा: जिलेभर के अस्पतालों में संविदा पर बहाल चिकित्सकों के अनिश्चितकालीन हड़ताल प
जागरण संवाददाता, मधेपुरा: जिलेभर के अस्पतालों में संविदा पर बहाल चिकित्सकों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। सदर अस्पताल सहित जिले के सभी 13 पीएचसी में ओपीडी सेवा भी पूरी तरह से प्रभावित हुई। चिकित्सकों के हड़ताल के कारण महिला ओपीडी को सदर अस्पताल में बंद कर दिया गया है। इस वजह से मरीजों के परिजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इधर हड़ताल के कारण स्वास्थ्य विभाग में भी हाहाकार मचा हुआ है। हड़ताल के पहले दिन से ही मरीज के परिजन इलाज के के लिए भटक रहें हैं। मजबूरन लोगों को निजी नर्सिग होम में जाना पड़ रहा है। चिकित्सकों के हड़ताल के दूसरे ही दिन स्वास्थ्य प्रशासन ने अपने हाथ खड़े कर दिए। मंगलवार को बड़ी संख्या में इलाज के लिए आए मरीजों को बिना इलाज के ही लौटना पड़ा। जिले की चिकित्सा सेवा पूरी तरह से संविदा पर बहाल चिकित्सकों पर निर्भर है। ऐसे में उनके हड़ताल पर चले जाने से यह संकट उत्पन्न हो गई। स्वास्थ्य प्रशासन के अधिकारियों का भी मानना है कि जब-तक संविदा पर बहाल चिकित्सकों की हड़ताल जारी रहेगी तब-तक स्वास्थ्य सेवा को सुचारू बनाने में काफी परेशानी होगी। जिले भर में संविदा पर करीब छह दर्जन से अधिक चिकित्सक कार्यरत हैं। ऐसे में उनके नहीं रहने एक से दो चिकित्सकों के जिम्में पूरे अस्पताल की स्वास्थ्य सेवा आ चूकी है।
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25 चिकित्सकों के भरोसे जिले भर के अस्पताल की जिम्मेदारी:
संविदा पर बहाल चिकित्सकों के हड़ताल पर चले जाने के बाद जिले भर में पद्स्थापित 25 नियमित चिकित्सकों के भरोसे जिले भर की स्वास्थ्य सेवा आ चूकी है। ऐसे में मरीजों का इलाज सरकारी अस्पतालों में कैसे संभव है इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। हड़ताल को देखते हुए जिला स्वास्थ्य प्रशासन ने 25 नियमित चिकित्सकों में से सात चिकित्सकों की तैनाती सदर अस्पताल में की है। वही 18 चिकित्सकों को जिले के विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लगाया गया है। ऐसे में सदर अस्पताल को छोड़ कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है।
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मरीजों में मचा हाहाकार :
जिले भर के विभिन्न अस्पतालों में कार्यरत संविदा चिकित्सक अपनी सेवा को नियमित करने की मांग कर रहें हैं। हड़ताल कर रहे छह दर्जन से अधिक चिकित्सकों का कहना है कि राज्य सरकार ने सेवा को नियमित करने की बात कही थी। लेकिन सरकार चिकित्सकों की इस मांग को लगातार नजर अंदाज कर रही है। यही वजह है कि संविदा चिकित्सकों को मजबूरन अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लेना पड़ा है। हड़ताल के कारण इलाज के लिए मरीजों के बीच हाहाकार मचा हुआ। इलाज के लिए मरीज निजी नर्सिग होम में भटक रहें हैं। इस हड़ताल का सबसे अधिक असर जिले के सीमांत तबकों पर पड़ा है। उनके लिए निजी नर्सिग होम में जाना भारी पड़ रहा है।
-------------------------- चिकित्सकों के हड़ताल का असर स्वास्थ्य सेवा पर परा है। लेकिन नियमित चिकित्सकों सभी अस्पतालों में इलाज की जिम्मेदारी दी गई है। मरीजों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो ऐसा प्रयास किया जा रहा है।
डा. जेपी मंडल
सीएस मधेपुरा