'नीतीश सरकार में बढ़ रहा है अधिकारियों का आतंक'
संवाद सूत्र, (कुमारखंड) मधेपुरा : सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि सूबे में गठबंधन नहीं बल
संवाद सूत्र, (कुमारखंड) मधेपुरा : सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि सूबे में गठबंधन नहीं बल्कि जदयू की सरकार चल रही है। नीतीश कुमार गठबंधन धर्म का पालन नहीं कर रहे। नेताओं को तरजीह नहीं मिल रहा है। ऐसे में कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं में आक्रोश पनप रहा है। बेलगाम हो रहे अधिकारियों का आतंक बढ़ रहा है। जनता परेशान हैं और अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। क्या यही है सुशासन। सांसद सोमवार को कुमारखंड प्रखंड कार्यालय में समीक्षा के बाद पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार और शरद यादव ने पंचायत से लेकर बूथ स्तर तक 15-20 कार्यकर्ताओं की कमेटी बनाने की बात कही है। इससे उनके नीयत साफ नहीं होने की झलक मिलती है। रविावार को कार्यकर्ता सम्मेलन में नीतीश सरकार ने इसका जिक्र नहीं किया कि सूबे में किसी सरकार है यूपीए या जदयू। मैं पूछना चाहता हूं कि क्यों नहीं कहा गया कि लालू यादव के सहयोग से सरकार बनी है। जदयू के एक भी लोगों की नियत सही नहीं है। रघुवंश प्रसाद ने जीतन राम माझी के बारे में जो बयान दिया है, वह बिल्कुल सही है। हम जानना चाहते हैं कि विचार की अभिव्यक्ति है जो केवल शरद यादव को प्राप्त है अन्य किसी को नहीं। गरीबों के लिए प्रवचन देना शरद यादव का काम है अन्य किसी का नहीं है। राजद के कार्यकर्ता को रघुवंश प्रसाद से सीख लेनी चाहिए। नीतीश कुमार के आते ही पदाधिकारी का जुल्म और अत्याचार बढ़ने लगा है। शहाबुद्ीन को जेल में तंग करना शुरू कर दिया है। सुपौल में महिलाओं पर लाठी चार्ज किया जाना शुरू है। पदाधिकारियों का तानाशाही और आतंकी रवैया शुरू हो गया तो आर-पार की लड़ाई होगी। पीके शाही और ललन सिंह फोन पर अधिकारियों को विशेष लोगों को तंग करने को कहा जाता है। खगड़िया में बलात्कार, छातापुर में मुखिया की हत्या और सुपौल में महिलाओं पर लाठी चार्ज सरकार के सात दिनों में ही निरंकुश हो गई है। कानून के राज में यादव और मुसलमानों पर जुल्म करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। आज अस्पताल की हालत खराब है। सरकार ने रामधनी सिंह जैसे लोग को मंत्री बनाया है जिसे फाइल तक देखने नहीं आता है। उसे बदलकर जानकार और ईमानदार को स्वास्थ मंत्री बनाना चाहिए। आज ब्लाक और अंचल थाना में भ्रष्टाचार कुछ कम हुए हैं। लेकिन आज भी शिकायत करने वालों की भीड़ बताता है कि भ्रष्टाचार खत्म नहीं हुआ हैं।