ताड़ से नीरा उत्पादन करने वाले लोग होंगे संपन्न
लखीसराय। समाहरणालय के सभागार में शुक्रवार को ताड़ के पेड़ पर निर्भर रहने वाले लोगों को आत्मा के तत्वाव
लखीसराय। समाहरणालय के सभागार में शुक्रवार को ताड़ के पेड़ पर निर्भर रहने वाले लोगों को आत्मा के तत्वावधान में नीरा के संग्रहण एवं प्रसंस्करण का प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन जिलाधिकारी सुनील कुमार, एडीएम किशोरी चौधरी, अधीक्षक उत्पाद पराशर शर्मा, जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार एवं सबौर (भागलपुर) के फूड साइंटिस्ट मो. शमशेर आलम ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। जिलाधिकारी श्री कुमार ने कहा कि पूर्ण शराबबंदी के बाद बिहार में नया सवेरा आया है। शराब से छुटकारा पाकर लोग अब खुशहाल हो गए हैं। परिवार एवं समाज में सुख-शांति नजर आने लगी है। उन्होंने कहा कि ताड़ पेड़ पर आश्रित रहने वाले लोग अब नीरा का उत्पादन कर आर्थिक रूप से संपन्न होंगे। पूर्व में नीरा का ताड़ी बनाकर लोग 15 रुपये लीटर ताड़ी बेचते थे परंतु अब नीरा 75 रुपये लीटर बिकेगा। इस अवसर पर सबौर (भागलपुर) के फूड साइंटिस्ट शमशेर आलम ने ताड़ के पेड़ पर आश्रित रहने वाले लोगों को नीरा के संग्रहण एवं प्रसंस्करण की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ताड़ का रस उतारकर उसका ताड़ी नहीं बनाकर नीरा बनाना है। रस उतारने के लिए ताड़ के पेड़ में लगाने वाले लवनी के अंदर के भाग में चूना का लेप लगाना है। इससे तीन घंटे तक ताड़ का रस खराब नहीं होगा। इसके अलावा ताड़ के रस को पॉलीथीन में भरकर उसे आइस बॉक्स में रखने से और अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि नीरा की बॉट¨लग कर उसे तीन माह तक रखा जा सकता है। नीरा से गुड़, ताल मिश्री आदि भी बना सकते हैं। इसके अलावा 150 एमएल की बोतल में बंद कर नीरा को प्रति बोतल 15 रुपये में बेचा जा सकता है। कार्यक्रम में सहायक उद्यान निदेशक चंदेश्वर चौधरी, निरीक्षक उत्पाद भूपेन्द्र कुमार, अवर निरीक्षक उत्पाद शैलेन्द्र कुमार के अलावा सैकड़ों की संख्या में ताड़ पेड़ के व्यवसाय से जुड़े लोग शामिल थे।