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नक्सल क्षेत्र के विद्यालय में आराम की है पूरी व्यवस्था

लखीसराय। नक्सल प्रभावित विद्यालयों में शिक्षकों के लिए आराम करने की पूरी व्यवस्था रहती है। बुधवार के

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 May 2017 10:50 AM (IST)Updated: Fri, 19 May 2017 10:50 AM (IST)
नक्सल क्षेत्र के विद्यालय में आराम की है पूरी व्यवस्था
नक्सल क्षेत्र के विद्यालय में आराम की है पूरी व्यवस्था

लखीसराय। नक्सल प्रभावित विद्यालयों में शिक्षकों के लिए आराम करने की पूरी व्यवस्था रहती है। बुधवार के बाद गुरुवार को भी लगातार दूसरे दिन कुंदर पंचायत अंतर्गत उत्क्रमित मध्य विद्यालय जगुआजोर का इस संवाददाता ने ऑन द स्पॉट जायजा लिया। लेकिन कोई सुधार नहीं दिखा। यहां के शिक्षक अपनी टाइ¨मग से स्कूल आते और वहां से जाते हैं। चूंकि गांव अनुसूचित जन जाति के प्रभाव वाला है इसलिए उन्हें किसी तरह की शिकायत का भय भी नहीं है।

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सुबह 7:00 बजे

विद्यालय के सभी कक्ष में ताला लटका था। संवाददाता के पहुंचने की भनक जब लगी तो गांव का ही कक्षा आठ का छात्र शिव मरांडी साढ़े सात बजे चाबी लेकर दौड़ा पहुंचा। सबसे पहले उसने कार्यालय का ताला खोला। अंदर प्रवेश कर कार्यालय की सभी खिड़कियों को खोला। संवाददाता जब“बच्चे के साथ कार्यालय के अंदर कदम रखा तो प्रधानाध्यापक के टेबल के सामने बेंच पर सोने के लिए बिछावन लगा हुआ था। अंदाजा लगा शायद यह आराम करने के लिए लगाया गया होगा।

सुबह 7:40 बजे

प्रधानाध्यापक कृष्णनंदन मिस्त्री पहुंचे। कार्यालय कक्ष से घंटी निकालकर बजाई गई। घंटी की आवाज सुनकर गांव स्थित घरों से स्कू“ी बच्चों का निकलना शुरू हुआ। पंद्रह मिनट बाद सहायक शिक्षक रवि शंकर कुमार पहुंचे। कार्यालय जाकर अपनी उपस्थिति बनाकर वर्ग कक्ष में जाक“ बच्चों को पढ़ाने की कोशिश शुरू की। आठ बजे तक कुल 40 छात्र-छात्रा पहुंचे इसके बाद भी उसके स्कूल आने का सिलसिला जारी रहा।

सुबह 9:00 बजे

कुल पांच शिक्षकों में से प्रधानाध्यापक सहित मात्र दो शिक्षक ही नौ बजे तक उपस्थित हुए। पूछने पर प्रधानाध्यापक कृष्णनंदन मिस्त्री ने बताया कि एक शिक्षक राजेश मरांडी सेवा पुस्तिका संधारण के लिए जिला मुख्यालय गए हैं। शिक्षिका निधि भारती बिना किसी सूचना के बीते 12 मई से ही गायब हैं। सीमा देवी आवेदन देकर दो दिनों के अवकाश पर थी। पूछने के बाबत प्रधानाध्यापक कृष्णनंदन मिस्त्री ने बताया की यातायात की सुविधा नहीं है। ट्रेन से स्टेशन पर उतरने के बाद पैदल विद्यालय पहुंचने की मजबूरी होती है। इस कारण कुछ विलंब हो जाता है। जंगली इलाका रहने के का“ण बच्चों की उपस्थिति कम होती है।


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