क्रोध बनावटी हो तभी ठीक : निधि सारस्वत
लखीसराय। क्रोध हमेशा बनावटी करना चाहिए। क्षणिक क्रोध सर्वोत्तम होता है। क्रोध से जितना नुकसान दूसरे
लखीसराय। क्रोध हमेशा बनावटी करना चाहिए। क्षणिक क्रोध सर्वोत्तम होता है। क्रोध से जितना नुकसान दूसरे का होता है, उससे कहीं अधिक नुकसान स्वयं का होता है। इसलिए हर मनुष्य को क्रोध से बचना चाहिए और अपना समय और श्रम भगवान के चरणों में अर्पित करना चाहिए। साध्वी देवी निधि सारस्वत ने शुक्रवार को अशोकधाम महोत्सव के पांचवें दिन श्रीमछ्वागवत कथा के विभिन्न प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि परमात्मा का जो संग करा दे वही सत्संग है। शिशुपाल ने कृष्ण का दर्शन कई बार किया। लेकिन सत्संग नहीं किया था। देवी निधि ने क्रोध को नियंत्रित करने का मंत्र बताते हुए समझाया कि क्रोध अगर सोमवार को आए तो सोचो आज सप्ताह का पहला दिन है, मंगलवार को मंगल का दिन, बुध को शुद्ध होने का दिन है। गुरुवार तो गुरु का दिन। शुक्र को भगवान को शुक्रिया करने का दिन है। शनि तो ऐसे भी खतरनाक है। रविवार तो छुट्टी का दिन है मौज करो। उन्होंने कहा कि मां बच्चों पर बनावटी क्रोध करती है उसी तरह हर व्यक्ति को क्षणिक क्रोध करना चाहिए। जीवन में अच्छे गुरु लाने का प्रयास करना चाहिए। जो हमें अज्ञान से ज्ञान, अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जा सके वही गुरु है। देवी निधि ने उपस्थित श्रोताओं से कहा कि जितनी ममता हम सांसरिक चीजों से करते हैं उतनी ममता यदि ठाकुर जी से करें तो बेड़ा पार हो जाएगा। देवी निधि ने कथा के दौरान बाल कृष्ण लीला, गोवर्धन पर्वत, पुतना वध सहित कई प्रसंगों की व्याख्या की। इस दौरान भक्ति भजनों से श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। अंत में भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग तथा गोवर्धन पर्वत की पूजा की गई। कार्यक्रम में पूर्व मंत्री सह राज्य सभा सांसद डॉ. सीपी ठाकुर एवं उनके पुत्र भाजपा नेता दीपक ठाकुर भी शामिल हुए। उन्होंने अशोकधाम मंदिर जाकर माथा टेका। इसके बाद कथा सुनी। मंदिर ट्रस्ट द्वारा देवी निधि के हाथों उन्हें सम्मानित किया गया।