पहाड़ी क्षेत्रों में आंवला, बेल व मशरूम कर करें खेती
लखीसराय। गुरुवार को हलसी प्रखंड मुख्यालय स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर
लखीसराय। गुरुवार को हलसी प्रखंड मुख्यालय स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर, भागलपुर के निर्देशानुसार 9वीं वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक हुई। बिहार कृषि महाविद्यालय सबौर के प्राचार्य डॉ. आरपी शर्मा, कृषि विज्ञान केंद्र नवादा के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ. कल्पना सिन्हा, कृषि विज्ञान केंद्र बांका के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ. कुमारी शारदा, कृषि विज्ञान केंद्र शेखपुरा के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ. विनय कुमार मंडल एवं कृषि विज्ञान केंद्र हलसी के वरीय एवं प्रधान डॉ. शंभू राय ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित करके किया। अध्यक्षता बिहार कृषि महाविद्यालय सबौर के प्राचार्य डॉ. आरपी शर्मा ने की जबकि संचालन केंद्र के गृह वैज्ञानिक डॉ. रेणु कुमारी ने किया। बैठक में केंद्र के पादप प्रजनन वैज्ञानिक डॉ. सुधीरचंद्र चौधरी ने खरीफ एवं रबी फसल लगाने के लिए समयानुसार से विलंब से लगने वाली फसल की विस्तृत चर्चा की। वहीं पौधा रोग वैज्ञानिक डॉ. उदयप्रकाश नारायण ने पौधों एवं अन्य फसलों में व्याप्त रोगों की विस्तृत जानकारी किसानों को दी। बड़हिया प्रखंड के खुटहा निवासी सह भाजपा के वरिष्ठ नेता रामशोभा ¨सह ने उपस्थित वैज्ञानिकों को कहा कि खेतों में फसल लगाने में अधिक पूंजी लगती है लेकिन किसान को पूंजी के अनुपात में बहुत कम आमदनी होती है। लखीसराय प्रखंड के पतनेर गांव के प्रगतिशील किसान मुरलीधर ¨सह ने प्राचार्य से कहा कि खेतों की मिट्टी जांच कराने की उत्तम व्यवस्था हो। जीविका की अनिता कुमारी ने बैठक में कहा कि सूर्यगढ़ा एवं चानन क्षेत्र के पहाड़ी इलाके में कम पानी में होने वाली फसल लगाने का प्रस्ताव रखा। किसानों एवं वैज्ञानिकों की चर्चा सुनने के बाद प्राचार्य श्री शर्मा ने कहा कि प्राकृतिक समयानुसार समय बदल रहा है। इसलिए किसान भी अपने खेतों में लेट वैरायटी की फसल वैज्ञानिक तरीके से लगवाएं। उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों में आंवला, बेल, मशरूम, मधुमक्खी पालन करने की अपील की। इस अवसर पर जिला कृषि पदाधिकारी महेंद्र प्रताप ¨सह सहित विभिन्न केंद्रों से आए कृषि वैज्ञानिकों ने अपने-अपने प्रयोग की विस्तृत जानकारी बैठक में दी। इसके पूर्व कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ. शंभू राय ने केंद्र की उपलब्धि को विस्तृत रूप से रखा।