विकास की रोशनी से नक्सलियों को मात देने की कवायद
लखीसराय। जिला प्रशासन ने जिले के नक्सल प्रभावित जंगली-पहाड़ी क्षेत्र के गांवों में विकास की रोशनी पहु
लखीसराय। जिला प्रशासन ने जिले के नक्सल प्रभावित जंगली-पहाड़ी क्षेत्र के गांवों में विकास की रोशनी पहुंचाने का संकल्प लिया है। इसके पीछे जन जाति लोगों का नक्सलियों से मोहभंग करने की प्रशासनिक मंशा है। विकास कार्य शुरू किए जाने से वहां के लोग नक्सलियों के दिखाए सब्जबाग में नहीं फंसेंगे।
नक्सल प्रभावित जंगली-पहाड़ी क्षेत्र में विकास कार्य
सूर्यगढ़ा प्रखंड अंतर्गत नक्सल प्रभावित जंगली-पहाड़ी क्षेत्र के सबसे अधिक सुदूरवर्ती गांव बरमसिया के करीब 200 परिवार को ¨सघौल एवं राजघाट में बसाया गया है। लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने को लेकर ¨सघौल एवं राजघाट में जिला प्रशासन द्वारा कई कुआं खुदवाया गया है।
बिजली की रोशनी से दूर जंगली-पहाड़ी क्षेत्र के विभिन्न गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए पोल एवं तार लगाया जा रहा है। जल्द ही जंगली-पहाड़ी क्षेत्र के गांवों में बिजली पहुंच जाएगी।
सुदूरवर्ती बरमसिया गांव में रहने वाले शेष करीब 200 परिवार की उन्नति के लिए जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए ¨सचाई की समुचित सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर 50 तालाब खुदवाने की तैयारी शुरू कर दी गई है।
जंगली-पहाड़ी क्षेत्र के लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने की दिशा में भी कार्य शुरू कर दिया गया है। कानीमोह में प्लस टू विद्यालय खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
क्या कहते हैं पदाधिकारी
जिलाधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि जंगली-पहाड़ी क्षेत्र के लोग इक्कीसवीं सदी में भी विकास की रोशनी से दूर है। नक्सली संगठन के लोग भोले-भाले आदिवासियों को बेहतर सुविधा देने का प्रलोभन देकर अपनी ओर मिला लेते हैं। जंगली-पहाड़ी क्षेत्र के लोगों के सुविधा संपन्न होने पर स्वत: ही नक्सलियों से मोह भंग हो जाएगा। इसको लेकर जिला प्रशासन ने कार्य प्रारंभ कर दिया है।