तालाबों को संरक्षित करने में विभाग रहा है उदासीन
लखीसराय। खोदाई और सफाई के अभाव में तालाबों के हालात बदतर होते जा रहे हैं। कहीं अतिक्रमण किया जा रहा
लखीसराय। खोदाई और सफाई के अभाव में तालाबों के हालात बदतर होते जा रहे हैं। कहीं अतिक्रमण किया जा रहा है तो कहीं कचरा डं¨पग जोन बना दिया गया है। विभाग इन तालाबों की सुध लेने में उदासीन है। अतिक्रमण हटाने के लिए जिला प्रशासन तालाबों की मापी और नोटिस की कार्रवाई से आगे कदम नहीं बढ़ा पा रहा है। जिला मत्स्य विभाग तालाबों का टेंडर कर राजस्व वसूली करता है, लेकिन उसके हालात में सुधार के लिए कोई पहल नहीं कर रहा है। हल यह है कि तालाबों के विकास के लिए आने वाला फंड भी खर्च हुए वापस जा रहा है। जिला मत्स्य विभाग के अधीन के तालाबों के विकास के लिए आई राशि यूं ही विभाग को वापस हो गई। वर्ष 2016 में तालाब की खुदाई और उसके संरक्षण के लिए राज्य मुख्यालय से 20 लाख रुपये की राशि का आवंटन प्राप्त हुआ। आवंटित राशि ट्रेजरी और विभागीय पेंच में उलझकर यूं ही पड़ी रही। अंत में राशि विभाग को वापस चली गई। बताया जाता है कि यह राशि खर्च होती तो दर्जनों तालाबों का कायाकल्प हो जाता पर ऐसा नहीं हुआ।
तालाबों से मत्स्य विभाग वसूलता है राजस्व
मत्स्य विभाग शहर के 16 तालाबों से राजस्व की वसूली करता है। पूर्व में तालाबों का दो वर्ष के लिए टेंडर होता था। जलकर अधिनियम 2006 के तहत तालाबों का अब सात वर्ष के लिए टेंडर होता है। जिससे लाखों रुपये का राजस्व विभाग को प्राप्त होता है।
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क्या कहते हैं अधिकारी
जिला मत्स्य पदादिकारी विनोद कुमार ने बताया कि तालाब के विकास के लिए 20 लाख रुपये की राशि आई थी, लेकिन वित्त विभाग के तकनीकी कारणों से राशि वापस चली गई। इस चलते आवंटित राशि का उपयोग नहीं किया जा सका।
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शहर के तालाब, जिनका होता है टेंडर
ओझवा पोखर, लखमोहन पोखर, कबैय पोखर, गिद्धा पोखर, परिया पोखर, सोनिया तालाब, संसार पोखर, गुज्जी पोखर, दिघवा पोखर, नेरी पोखर, सूर्यमंठ पोखर, मन¨सघा पोखर, कुंडा पोखर, ¨सघाडी पोखर, ¨सघो पोखर एवं चरोखरा पोखर।