गौरीशंकर धाम : छिपा है अमिट धरोहर
संवाद सहयोगी, लखीसराय : जिले के सूर्यगढ़ा प्रखंड अंतर्गत सूर्यपुरा पंचायत के कटेहर गांव स्थित गौरी श
संवाद सहयोगी, लखीसराय : जिले के सूर्यगढ़ा प्रखंड अंतर्गत सूर्यपुरा पंचायत के कटेहर गांव स्थित गौरी शंकर महादेव का अति प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर का धार्मिक एवं पुरातात्विक महत्व है। किऊल नदी के तट पर अवस्थित इस मंदिर की महिमा से ही भक्तों की मन्नतें पूरी होती है। मंदिर स्थित नदी तट पर पूर्व में दूरदराज से ऋषि मुनि आकर भक्ति भाव से तपस्या एवं पूजा किया करते थे। मंदिर में भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग स्थापित है। जहां हर रोज बड़ी संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही ऐसी मान्यता है कि जो लोग भक्ति भाव से मनोकामना मांगते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती है। मंदिर में विवाह, मुंडन संस्कार आदि पुनीत कार्य के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। किम्वदन्तियों में ऐसा कहा गया है कि मंदिर स्थल पर पूर्व में गंगा जी की धारा प्रवाहित होती थी। गंगा की धारा की दिशा बदलने के बाद यहां गौरी शंकर महादेव ने प्रकट होकर दर्शन दिया था। गिद्धौर के राजा का इस मंदिर पर अटूट श्रद्धा थी। उनके मरने के बाद उनका दाह-संस्कार भी यहीं किया गया था।
मंदिर स्थल की खुदाई की जाए तो कई पुरातात्विक अवशेष प्राप्त हो सकते हैं। पर्यटन स्थल बनने की असीम संभावनाएं मौजूद हैं। प्राचीन हिन्दू काल के सूर्यवंशी राजाओं के कई भग्नावशेष यहां आज भी देखने को मिलते हैं। अति पौराणिक यह धार्मिक स्थल भौगोलिक स्थिति के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्व की भी धरोहर है। यहां तंत्र विद्या के लिए जाना जाने वाला वीरान श्मसान घाट गंगा किनारे स्थित है। हालांकि सिद्धपीठ स्थल व गौरीशंकर धाम से गंगा रूठकर दूर चली गई है। जिला प्रशासन द्वारा इस प्राचीन मंदिर को विकसित करने के लिए दो करोड़ रुपये की राशि का एक प्रस्ताव सरकार के पर्यटन विभाग को भेजा है। लेकिन अबतक कोई पहल नहीं हुई है।