Move to Jagran APP

शिक्षा का दीप जला जमाने को बदलने निकल पड़ी कंचन

विनोद कुमार वर्मा, संवाद सहयोग, लखीसराय : शिक्षा का दीप जलाएंगे बदलेंगे हम जमाना। शिक्षा का दीप जलान

By Edited By: Published: Fri, 19 Dec 2014 07:29 PM (IST)Updated: Fri, 19 Dec 2014 07:29 PM (IST)
शिक्षा का दीप जला जमाने को बदलने निकल पड़ी कंचन

विनोद कुमार वर्मा, संवाद सहयोग, लखीसराय : शिक्षा का दीप जलाएंगे बदलेंगे हम जमाना। शिक्षा का दीप जलाने की मन में तमन्ना लिये घर से निकली कंचन कुमारी की जुबां से गुंजते यह गीत भले ही आज महिलाओं के लिए प्रेरणा का गीत बन गया हो लेकिन इस सफर को तय करने की राह में कई रोड़े भी रूकावट बनी। लेकिन कहते हैं कि दिल में जब कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो राह के रोड़े भी राहवर बन जाते है। कंचन के साथ भी यही हुआ। इंटर पास छह बेटी एवं एक बेटे की मां कंचन ने आर्थिक तंगी एवं पारिवारिक विवाद को पीछे छोड़, समाजिक तानों से मुंह मोड़ कर महिलाओं को शिक्षित करने के कार्य से जुड़ी रही। आज वह जिला साक्षरता समिति से जुड़ कर अपना तथा अपने परिजनों का भरण पोषण भी कर रही है। केआरपी के रूप में कार्यरत लखीसराय शहर के कचहरी रोड जखराज स्थान निवासी हरिनंदन प्रसाद की पत्‍‌नी कंचन आज अपने कार्य से संतुष्ट है। वह अपने मोहल्ले की महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी हुई है। कंचन के पति हरिनंदन कृषि कार्य एवं बाद में डब्ल्यूएचओ में यात्रा भत्ता के चंद रूपये की नौकरी करते हैं। कंचन का कहना है कि महिलाओं को शिक्षित करने के कार्य से उसे काफी आत्म संतुष्टि मिलती है। वह फिलहाल स्थानीय मंडल कारा में प्रेरणा केन्द्र चलाकर जेल में बंद महिला निरक्षर कैदियों को साक्षर करने में जुटी हुई है। कंचन ने बताया कि जेल में दस महिला बंदियों का एक केन्द्र चलाकर शिक्षित करने एवं समाज की मुख्य धारा में जोड़ने का कार्य वह कर रही है। इसके साथ वह अपने घर में मोहल्ले की महिलाओं को साक्षर करने का कार्य भी कर रही है। इसके कार्य में उनकी बेटियां भी हाथ बंटाती है। साथ ही महिलाओं को शिक्षित करने के साथ उसकी आर्थिक संपन्नता के लिए जिले के विभिन्न क्षेत्रों में तीस स्वयं सहायता समूह भी चला रही है। कंचन कहती है कि गोतिया से पारिवारिक विवाद में काफी तनाव एवं इस कार्य क लिए प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी लेकिन वह अपने कार्य क प्रति अडिग रही। कंचन के इसी कार्य के लिए पटना में आयोजित सेमिनार में आद्री एवं दीपायतन द्वारा वर्ष 2004 में उन्हें सम्मानित किया गया। महिलाओं की समस्या पर कंचन बड़े मार्मिक ढंग से गीत गाकर कहती है कि देश में अगर बेटियां मासूम और नसाद है, दिल पर हाथ रखकर कहिए देश क्या आजाद है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.