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50 किमी ट्राइसाइकिल चलाकर परीक्षा देने आता है दिव्यांग

किशनगंज। शिक्षा की लालसा अगर इंसान के दिलो-दिमाग में समा जाए तो इसके आगे दिव्यांगता भी नमस्तक हो जात

By Edited By: Published: Mon, 20 Feb 2017 04:56 PM (IST)Updated: Mon, 20 Feb 2017 04:56 PM (IST)
50 किमी ट्राइसाइकिल चलाकर परीक्षा देने आता है दिव्यांग
50 किमी ट्राइसाइकिल चलाकर परीक्षा देने आता है दिव्यांग

किशनगंज। शिक्षा की लालसा अगर इंसान के दिलो-दिमाग में समा जाए तो इसके आगे दिव्यांगता भी नमस्तक हो जाता है। इंसान कि इच्छा शक्ति के आगे हर मुश्किल काम भी आसान हो जाता है। बस इंसान के अंदर हौसला व जज्बा बुलंद होनी चाहिए। ऐसा ही एक मामला इंटरमीडिएट परीक्षा में दिखने को मिला। बहादुरगंज कॉलेज का इंटरमीडिएट छात्र सेमीलाल हरिजन कला विषय का परीक्षा सेंट-जेवियर्स स्कूल केंद्र पर परीक्षा दे रहा है। प्रतिदिन बहादुरगंज से किशनगंज लगभग 50 किमी की दूरी ट्राई साइकिल चलाकर तय करता है। सेमीलाल का हौसला देख केंद्राधीक्षक भी दंग रह गए जब उन्होंने पहले माले के बजाए नीचे ही परीक्षा देने का व्यवस्था कर दिया। दिव्यांग सेमीलाल ने स्वाभिमान के साथ जोड़ा और साथी परीक्षार्थियों के साथ ही परीक्षा देने बात कही। सीढ़ी पर किसी तरह बिना सहारा के ही रोज चढ़ता और उतरता है।

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छात्र सेमीलाल बहादुरगंज प्रखंड के नगर पंचायत वार्ड संख्या पांच बिन्या गांव का रहने वाला है दोनों पांव से दिव्यांग सेमी परीक्षा केंद्र सेंट जेवियर्स परीक्षा देने ट्राई साइकिल चला कर बहादुरगंज से 25 किमी की दूरी तय कर परीक्षा केंद्र पहुंचता है। आर्थिक तंगी के कारण बहादुरगंज से परीक्षा केंद्र ट्राई-साईकिल चला कर प्रतिदिन 50 किमी की दूरी तय करना सेमी की मजबूरी है लेकिन बुलंद हौसले के सामने हंसते हुए ऐसे सवालों को टाल जाता है। सेमीलाल आठ भाई-बहनों में सातवें नंबर पर है, छह बहनें व दो भाई है। एक भाई छोटा है बाकी सारी बहने बड़ी है। पिता शिवलाल हरिजन खेतिहर मजदूर हैं किसी तरह परिवार का भरण-पोषण करते हैं। द्वितीय श्रेणी से मैट्रीक पास किए सेमीलाल को दिव्यांग पेंशन के तौर पर 400 रुपये प्रति माह मिलता है, जिससे वह अपनी पढ़ाई पर खर्च करता है। इंटर के बाद आगे की पढ़ाई जारी रखने की बात कहते हुए सेमी का लक्ष्य सरकारी नौकरी हासिल कर छोटे भाई को पढ़ाने, बहनों की शादी कर घर की जिम्मेवारी उठाने की है।


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