खगड़ा मेला का अस्तित्व बचाने की होगी हर संभव कोशिश : डीएम
किशनगंज : सीमांचल में खगड़ा मेला का ऐतिहासिक महत्व है। यहां बड़े पैमाने पर घरेलू सामान और सजावटी सामान
किशनगंज : सीमांचल में खगड़ा मेला का ऐतिहासिक महत्व है। यहां बड़े पैमाने पर घरेलू सामान और सजावटी सामान सहित पशुओं की बिक्री हुआ करती थी। लेकिन वर्तमान समय में इस मेला के अस्तित्व को पुन: बचाने की कोशिश की जा रही है। जिससे कि सीमांचल का
यह ऐतिहासिक मेला एक बार फिर अपने पुराने रंग-रूप में लौट सके। यह बातें मंगलवार को जिलाधिकारी पंकज दीक्षित ने खगड़ा मेला का फीता काट कर उद्घाटन करने के उपरांत कही। उन्होंने कहा कि खगड़ा मेला की शुरुआत 1883 में हुई थी। इस मेला को जमाने में खगड़ा नवाब सैयद अता हुसैन की अहम भूमिका रही थी। लेकिन 1980-90 के दशक में मेला का रूप सिमटने लगा। वर्ष 2000 से प्रशासनिक पहल के बाद मेला का आयोजन बड़े पैमाने पर शुरू किया गया। इसी का परिणाम है कि खगड़ा मेला में अब लोगों की चहल-पहल बढ़ी है। पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा ने कहा कि मेला में आने वाले दुकानदारों को पूरी सुरक्षा दी जाएगी। साथ ही मेला परिसर को सुरक्षित रखने के लिए पेट्रो¨लग गश्ती बढ़ाई जाएगी। जिससे कि मेला आने वाले लोगों को किसी प्रकार की परेशानियों का सामना नही करना पड़े। वहीं जिला परिषद अध्यक्ष रुकिया बेगम ने
कहा कि खगड़ा मेला का ऐतिहासिक महत्व आज भी लोगों के दिलों दिमाग में बसा हुआ है। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले बुजुर्ग हमेशा ही खगड़ा मेला का व्याख्यान करते रहते हैं। नगर परिषद अध्यक्ष आंची देवी जैन ने कहा कि खगड़ा मेला को लोकप्रिय बनाना अति आवश्यक हो गया है। इसी उद्देश्य के तहत मेला में मौत का कुआं, ड्रेगन झूला, टावर झूला, मिक्की माउस और चित्राहार सहित बड़ी संख्या में दुकानें लगाई गई है। इस दौरान मुख्य रूप से एसडीएम मो. शफीक, जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी यशस्पति मिश्रा, पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष त्रिलोक चंद्र जैन, पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष फैयाल आलम, एसडीपीओ कामिनी बाला, थाना प्रभारी प्रमोद कुमार राय, महिला थाना प्रभारी श्वेता ¨सहा, उस्मान गनी, मो. कलीमुद्दीन और देवेन यादव सहित कई लोग मौजूद थे।