शोध पत्र लेखन में सिनॉप्सिस का है विशेष महत्व : डॉ. मनोज
खगड़िया। शोध पत्र लेखन में सिनॉप्सिस का विशेष महत्व है। इसी पर निर्भर करता है कि आपके शोध की दिशा सही
खगड़िया। शोध पत्र लेखन में सिनॉप्सिस का विशेष महत्व है। इसी पर निर्भर करता है कि आपके शोध की दिशा सही है अथवा नहीं। उक्त बातें मंगलवार को स्थानीय महिला महाविद्यालय में 'शोध पत्र लेखन एवं आंकड़ा विश्लेषण'विषय पर चल रहे सात दिवसीय कार्यशाला के दौरान अमीटी यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक डॉ. मनोज कुमार मिश्रा ने कही।
मंगलवार को शोध कार्य करने को लेकर छात्र-छात्राओं को जागृत करते हुए उन्होंने सिनॉप्सिस तैयार करने की पूरी जानकारी दी।कार्यशाला के तीसरे दिन प्रशिक्षक डॉ. मनोज कुमार मिश्रा ने शोध प्रस्ताव की रूप-रेखा, आवश्यक घटक, प्रासंगिकता एवं उपयोगिता के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शोधार्थी हमेशा प्रयास करें कि समुचित एवं समाजोपयोगी मुद्दों का चयन करें। इससे भविष्य में समाज को लाभ होगा। उन्होंने सिनॉप्सिस के बारे जानकारी देते हुए बताया कि इसमें मुख्य रूप से पांच ¨बदुओं पर कार्य करना होता है। इसके माध्यम से बताया जाता है कि आपके शोध का विषय क्या है, यह किस तरीके से किया जाएगा, इसमें किन-किन तथ्यों का उपयोग होगा आदि। बताया गया कि सिनॉप्सिस में अध्यायों का वर्गीकरण बेहद महत्वपूर्ण है। साथ ही अध्याय में जिन नामों या पुस्तक व तथ्यों का उल्लेख हो उसका रिफ्रेंस में दिया जाना अनिवार्य है।
मौके पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजीव नंदन शर्मा, डॉ. शोभा रानी, डॉ. अनिल ठाकुर, डॉ. महेश्वर मिश्र, डॉ. कैलाश पंडित, डॉ. शंकर मिश्र, डॉ. कुमारी रेणुका, डॉ. नूतन कुमारी आदि मौजूद थे।