अस्पतालों में बनेगा प्रसव कक्ष से जुड़ा स्तनपान कक्ष
खगड़िया। नवजात शिशु व शिशु मृत्यु दर में कमी लाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस ली है। इस बाबत पि
खगड़िया। नवजात शिशु व शिशु मृत्यु दर में कमी लाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस ली है। इस बाबत पिछले, तीन दिसंबर से राज्य में एमएए (मा) अर्थात मदर एवसेल्यूट एफेक्शन कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। इसे लेकर जिला स्तर पर स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस ली है। कार्यक्रम के तहत नवजात बच्चों को जन्म के एक घंटे के अंदर मां का गाढ़ा - पीला दूध पिलाना अनिवार्य है। विभागीय लोगों का कहना है कि शिशु के जन्म बाद कभी-कभी परिजन बच्चों को पोछने में समय व्यतीत कर देते हैं और बच्चों को जन्म के एक घंटे के अंदर मां का दूध नहीं पिलाया जा सकता है। ऐसी स्थिति से निदान को लेकर ही स्वास्थ्य विभाग के द्वारा अभियान चलाकर कार्य किया जाएगा। साथ ही प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की जाएगी।
अस्पतालों में होगी स्तनपान भवन
नवजात बच्चों को जन्म के एक घंटे के अंदर मां का दूध पिलाई जाए, इसे लेकर स्तनपान कक्ष का निर्माण कराया जाएगा। ताकि, नवजात बच्चों की मां उस जगह जाकर अपने बच्चों को स्तनपान करा सकें। साथ ही प्रसव कक्ष के सुढृढ़ीकरण की दिशा में कार्य किया जाएगा।
माताओं के साथ की जाएगी बैठक
मा कार्यक्रम को धरातल पर उतारने के लिए गर्भवती व धात्री महिलाओं के साथ समूह बनाकर बैठक किया जाना है। साथ ही स्तनपान पूरक आहार पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। साथ ही एक आशा के कार्य क्षेत्र में गर्भवती माताएं बैठक करेगी। इसमें आशा के द्वारा स्तनपान से संबंधित गतिविधियों की जानकारी दी जाएगी।
कहते हैं अधिकारी
उक्त योजना के विषय में सिविल सर्जन डॉ. अरुण कुमार ¨सह ने बताया कि यह कार्यक्रम पूरी तरह सफल हो, इस बाबत कार्य किया जाना है। कहा कि स्तनपान शत-प्रतिशत हो, इसके लिए इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम को लेकर जागरुकता अभियान भी चलाने का निर्देश है।
पढ़ी गई = संजीव सौर