रेफरल अस्पताल : बेहतर स्वास्थ्य सेवा के दावे पर कुव्यवस्था भारी
खगड़िया। विभागीय स्तर पर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर भले ही लाख दावे किए जा रहे हो, परंतु जमीनी
खगड़िया। विभागीय स्तर पर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर भले ही लाख दावे किए जा रहे हो, परंतु जमीनी हकीकत कुछ और ही है। गोगरी में अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था के दावे पर संसाधन व सुविधा की कमी भारी पड़ती नजर आ रही है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की बात छोड़ दें तो अनुमंडल मुख्यालय के रेफरल अस्पताल की स्थिति भी अच्छी नहीं है। रेफरल अस्पताल गोगरी, बदहाली में संचालित है। 30 शैय्या वाले रेफरल अस्पताल में भी लोगों को समुचित स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती है। चिकित्सक व कर्मी की कमी, भवन व अन्य सुविधा के अभाव के कारण यहां सरकारी चिकित्सा व्यवस्था खानापूर्ति नजर आ रही है।
चिकित्सक व कर्मी के अभाव में होती है परेशानी
रेफरल अस्पताल व 14 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मिलाकर यहां कम से कम 24 चिकित्सकों की आवश्यकता है। परंतु यहां मात्र चार चिकित्सक के बूते ही प्राथमिक व रेफरल अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था संचालित है। यहां अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक व सर्जन नहीं हैं। रेफरल अस्पताल में कुल 29 कर्मी का पद सृजित है, जिसके विरुद्ध मात्र 9 कर्मी ही कार्यरत है।
कार्यालय भवन में प्रसव केंद्र संचालन की है मजबूरी
रेफरल अस्पताल में भवन की घोर कमी से काफी परेशानी है। वर्ष 1981 में बने रेफरल अस्पताल का भवन काफी जर्जर हो जाने के कारण यहां भवन की काफी कमी हो गई है। बार-बार जर्जर भवन के छत का प्लास्टर टूट कर गिरने की घटना बाद डीएम के निर्देश से रेफरल अस्पताल का प्रसव कक्ष अस्पताल भवन से हटाकर कार्यालय कक्ष में कर दिया गया तथा कार्यालय का संचालन मजबूरी में चिकित्सक आवास में किया जा रहा है। जिस कारण एक जगह लोगों को सभी सुविधाएं नहीं मिल पाती है। पंजीयन करवाने अलग भवन, चिकित्सक को दिखाने अलग भवन व दवा लेने अलग भवन जाना पड़ता है।
जमीन पर लगता है मरीजों का बेड
अस्पताल में बेड का भी अभाव है। वैसे रेफरल अस्पताल 30 बेड का है, परंतु लोगों का कहना है कि 30 बेड प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का अलग होना चाहिए। जबिक यहां दोनों मिलाकर यहां मात्र 30 बेड है। जिसमें लगभग 20 बेड प्रसव कक्ष व वार्ड में तीन बेड लगे हैं। बेड की कमी के कारण मरीज को कभी-कभार जमीन पर चादर बिछाकर लेटना पड़ता है। मंगलवार को भी अस्पताल में 22 महिलाओं का बंध्याकरण किया गया, परंतु किसी को बेड नहीं मिल सका। आपरेशन कराने वाली सभी महिलाएं जमीन पर ही चादर बिछाकर लेटी नजर आई। जमीन पर संक्रमण का अधिक खतरा रहता है।
जानें आउटसोर्सिंग का हाल
अस्पताल में आउटसोर्सिंग की बिगड़ी व्यवस्था के कारण साफ-सफाई व रौशनी आदि की व्यवस्था किसी तरह चल रहा है। अन्य व्यवस्था का बुरा हाल है। गत वर्ष मार्च से ही अस्पताल में एक्स-रे सेवा बंद है। एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड व अन्य जांच के लिए मरीजों को बाहर जाना पड़ता है। ऐसे में लोगों को दोहन का शिकार होना पड़ता है। अस्पताल में सर्जन व आपरेशन की व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां मरीजों को रेफर किया जाना नियति बनी है। जबकि, ब्लड बैंक नहीं होने के कारण भी मरीज रेफर कर दिए जाते हैं।
क्या कहते है प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. चंद्रप्रकाश
वे अभी यहां नए-नए आए हैं। विशेष कुछ नहीं बता सकते। अस्पताल में चिकित्सकों व कर्मियों की घोर कमी है। बावजूद जो सुविधाएं मौजूद है, वह लोगों को उपलब्ध करवाई जाती है। जहां तक अन्य सुविधाओं की बात है, इसे लेकर वरीय अधिकारी ही कुछ कह सकते हैं।