रजाई की तगाई में दिख रही कलाकारी
खगड़िया: रजाई बनाने वाले धुनिया परिवार के लोगों के चेहरे पर ठंड आते ही चमक आ जाती है क्योंकि उनका कार
खगड़िया: रजाई बनाने वाले धुनिया परिवार के लोगों के चेहरे पर ठंड आते ही चमक आ जाती है क्योंकि उनका कारोबार ठंड के इस महीने में तेजी से होता है। बेटी के गौना के मौके पर तोशक व रजाई उपहार में देने की भी परंपरा है। इस कारण इस पुश्तैनी पेशे से जुड़े धुनिया ठंड खत्म होते ही रोजगार कि तलाश में परदेश चले जाते हैं।
तगाई में दिखती है कलाकारी
रजाई तैयार करने में रूई की धुनाई के बाद तगाई में कलाकारी दिखती है। सीधा, झाड़ी, तिरछी राउंड तगाई के अलग-अलग दर होते हैं। महीन तगाई में अधिक समय लगने के कारण मजदूरी अधिक ली जाती है। इससे कई वर्षो तक रूई इधर-उधर नहीं होता है। हालांकि अब मशीन से भी तोशक-रजाई की तगाई की जाता है। इससे कम समय में ज्यादा तोशक-रजाई तैयार की जाती है।
बाजार में मिल रही तैयार रजाई
शहर के एनएसी रोड, मेन रोड समेत जिले के विभिन्न बाजारों में तैयार तोशक रजाई बिक रही है। दुकानदार जयपूरी रजाई के साथ ही अन्य तरह की रजाई भी बेचते हैं। साथ ही साथ स्थानीय कारीगरों द्वारा इसे तैयार भी किया जाता है। विभिन्न जगहों पर रजाई-तोशक की कीमत कपड़े व रूई की क्वालिटी पर निर्भर करती है। जिले के विभिन्न हिस्सों में बसे धुनिया जाति के लोग आज भी अपने पुश्तैनी धंधा से जुड़े हैं। साल में दो माह ही उनका कारोबार चमकता है। शेष दिनों में वे रोजगार कि तलाश में इधर-उधर भटकते हैं। जरूरत पड़ने पर दूसरे प्रांत तक का चक्कर लगाते हैं।