नक्सल थाने : वाहन तो मिल गए, नहीं मिली जमीन
खगड़िया : मुख्यालय स्तर से एक साल पहले घोषित नक्सल प्रभावित थानों को वाहन तो मिल गए, मगर जमीन नहीं मि
खगड़िया : मुख्यालय स्तर से एक साल पहले घोषित नक्सल प्रभावित थानों को वाहन तो मिल गए, मगर जमीन नहीं मिलने से भवन नसीब नहीं हो पा रहा है। इन थानों को नक्सल प्रभावित थाना का स्वतंत्र कार्य करने को लेकर क्षेत्राधिकार का मामला भी लटका हुआ है। पुलिस सूत्रों की मानें तो दो महीने पहले इन थानों का क्षेत्राधिकार से संबंधित फाइल को फाइनल कर मुख्यालय को भेज दिया गया है, बावजूद पूर्णरूप से इन थानों को वजूद में नहीं लाया जा सका है। नदियों से घिरे व अटपटा भूगोल और दुर्गम इलाके के चलते आज भी रह-रहकर नक्सलियों की सक्रियता सामने आती रहती है। कई बार पुलिस-नक्सली मुठभेड़ भी हो चुकी है। आधे दर्जन जिलों के सीमावर्ती इलाका रहने के कारण सहरसा, समस्तीपुर, दरभंगा, बेगूसराय, मधेपुरा, खगड़िया जिलों की पुलिस की परेशानी बढ़ जाती है।
घोषित हुआ था नक्सल थाना
सालभर पहले गंगौर, अमौसी, पीपरपांति, बहादुरपुर को नक्सल प्रभावित थाना घोषित किया गया था। मगर क्षेत्राधिकार स्पष्ट करने का मामला उलझ गया। किन गांव को किन थानों से जोड़ना है, इसको लेकर फाइल तैयार की गई। पुलिस सूत्र का कहना है कि क्षेत्राधिकार की फाइल स्पष्ट कर दो महीना पहले मुख्यालय को भेज दिया गया है, अब गृह विभाग से इन थानों को फिर से नक्सल थाना घोषित करना है और नक्सल थाना जैसी सुविधा भी उपलब्ध करानी है।
नहीं मिल रही जमीन
इन थानों को अपना भवन उपलब्ध कराने को लेकर जमीन की तलाश की जा रही है। गंगौर ओपी को जमीन मिल गई, मगर अमौसी, बहादुरपुर व पीपरपांति के संदर्भ में अलौली सीओ ने जमीन उपलब्ध कराने से हाथ खड़े कर दिये हैं। सीओ द्वारा रिपोर्ट किया गया है कि सरकारी जमीन उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
मिले वाहन
एक सप्ताह पहले ही विभाग को आधे दर्जन वाहन उपलब्ध कराए गए। इन वाहनों को अमौसी समेत अन्य थानों को उपलब्ध करा दिए गए हैं।
क्या कहते हैं एसपी
एसपी धुरत सायली सवलाराम के अनुसार क्षेत्राधिकार का मामला स्पष्ट कर मुख्यालय को भेज दिया गया है। जहां तक जमीन उपलब्ध कराने की बात है तो जमीन की तलाश की जा रही है।