'सती स्थान' की महिमा अपरम्पार
संवाद सूत्र, खगड़िया : जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर पश्चिम ओलापुर गंगौर पंचायत स्थित सती स्थान का विश
संवाद सूत्र, खगड़िया : जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर पश्चिम ओलापुर गंगौर पंचायत स्थित सती स्थान का विशेष आध्यात्मिक महत्व है। गांव के उत्तर दिशा में अवस्थित सती स्थान में दूरदराज से आकर श्रद्धालु मन्नतें मांगते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार सच्चे दिल से जो भी यहां मन्नत मांगते हैं उनकी कामना पूर्ण होती है। उक्त स्थान पर पूजा अर्चना को लेकर प्रत्येक दिन भीड़ उमड़ती है। यहां खगड़िया, बेगूसराय, समस्तीपुर, मुंगेर, सहरसा आदि जगहों से श्रद्धालु आते हैं।
क्या है मान्यता
सती स्थान के बारे में बताया जाता है कि आजादी से दशकों पूर्व ओलापुर गंगौर के मणियार सिंह बाबा की शादी बेगूसराय जिले के महना गांव में हुई थी। जब मणियार बाबा की आकस्मिक मौत हो गई तो उनकी धर्मपत्नी ने सती बनने का फैसला लिया। तब मणियार बाबा के साथ-साथ उनकी धर्मपत्नी का भी दाह-संस्कार किया गया।
मंदिर स्थापना का मिला था स्वप्न
मणियार बाबा व उनकी पत्नी का दाह-संस्कार हुआ। ग्रामीणों के अनुसार सती बनने के बाद मणियार बाबा की धर्मपत्नी ने कई लोगों को स्वप्न दिया कि गांव के उत्तर में मंदिर स्थापित किया जाय। इसके बाद ग्रामीणों ने उक्त स्थान पर एक पिंड स्थापित किया। जिनकी सती माता के रूप में प्रसिद्धि है। बूढ़ी गंडक के जिस स्थान पर उनका दाह-संस्कार किया गया था। उस स्थल को आज भी लोग 'सतियारा घाट' के नाम से जानते हैं।
याद की जाती है सती मा
गांव में शादी-विवाह जैसे शुभ घड़ी में सती स्थान में महिलाएं प्रसाद चढ़ाने के बाद ही कार्य आरंभ करती है। वहीं, मणियार बाबा व बदन बाबा के मंदिर के सामने शादी के समय छागर की बली दी जाती है। पुजारी रामचंद्र झा ने बताया कि संकट के घड़ी में जो श्रद्धालु सती माता का स्मरण करते हैं उनका दुख दूर हो जाता है।
कहते हैं ग्रामीण
गांव के जितेन्द्र कुमार सिंह, सुधीर सिंह आदि कहते हैं कि यह आस्था का केन्द्र है। बावजूद इस जगह को विकसित करने की दिशा में अधिकारी सुधि नहीं ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन ऐतिहासिक जगहों पर विकास योजनाओं को चलाने की जरूरत है।