शिक्षा विभाग ने डकार लिया करोड़ों का ब्याज
मुकेश, खगड़िया बैंक में विद्यालयों के खाते में पड़े सरकार के तकरीबन 15 करोड़ रुपये का सूद बढ़ता गया,
मुकेश, खगड़िया
बैंक में विद्यालयों के खाते में पड़े सरकार के तकरीबन 15 करोड़ रुपये का सूद बढ़ता गया, मगर यह सूद सरकारी काम के लिए के हिस्से में नहीं आया, बल्कि इधर-उधर खर्च में उड़ गया। स्थिति यह कि इस सूद की राशि का हिसाब-किताब विभाग के पास भी उपलब्ध नहीं है।
सूत्रों की मानें तो सूद की उक्त राशि को कई प्रधानों ने खर्च दिखाकर निकासी भी कर ली है। इसकी जानकारी विभाग को नहीं है। सरकारी धन से अर्जित सूद से कई प्रधानों की जेब मोटी होती गई, कई सेवानिवृत भी हो गए, मगर इसका लेखा-जोखा एकत्रित करने का प्रयास नहीं हुआ।
क्या है मामला
सरकार ने 2005 से लेकर 08-09 के बीच 40 राजकीयकृत माध्यमिक विद्यालयों को इंटरस्तरीय विद्यालय का दर्जा दिया। इसको लेकर भवन निर्माण हेतु 39.50 लाख के दर से ऐसे विद्यालय प्रधानों को राशि निर्गत की गई। वर्षो विद्यालय के खाते में इतनी बड़ी राशि पड़ी रही। 1.58 लाख रुपये हर साल विद्यालय के खाते में बैंकों द्वारा सूद भेजे जाते रहे। 10-11 में सरकार का आदेश आया और जिन विद्यालय प्रधानों द्वारा राशि खर्च नहीं की गई, उन्हें निर्गत राशि सरकार को वापस करने के आदेश दिए गए और अधिकांश प्रधानों ने वर्षो पूर्व प्राप्त मूलधन सरकार को वापस कर दिया पर सूद की कहीं चर्चा नहीं की गई।
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किस मद में करना था खर्च
26 लाख रुपये भवन निर्माण, 6.5 लाख उपस्कर खरीद, 2 लाख खेल मैदान, 2 लाख पुस्तकालय सामग्री खरीद, 2 लाख प्रयोगशाला उपकरण आदि पर खर्च करना था। सूत्रों की मानें तो बेला-सिमरी समेत कई विद्यालय प्रधानों में बिना भवन के ही उपकरण की खरीद अनियमित तरीके से कर ली गई। जिला माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सीताराम चौधरी व सचिव विष्णुदेव प्रसाद यादव का कहना हुआ कि सरकार ने सूद की राशि की खोज ही नहीं की, तो प्रधान क्या करेंगे। उनका यह भी कहना हुआ कि यह घोटाला नहीं है।
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-कोट-
संबंधित प्रधानों को नोटिस जारी कर पूछा जाएगा कि बैंकों द्वारा कितने सूद की राशि विद्यालय के खाते में भेजी गई और उस राशि का उपयोग कहां किया गया। मामले गंभीर है इसकी जांच कराई जाएगी।
डॉ. ब्रज किशोर सिंह
जिला शिक्षा पदाधिकारी