सूरज फैला रहा ज्ञान का प्रकाश
संजीव सौरभ, खगड़िया: इसे ईश्वरीय गुण ही कहा जाएगा कि मात्र छह वर्षीय दृष्टिहीन बालक अपने से बड़े करीब
संजीव सौरभ, खगड़िया: इसे ईश्वरीय गुण ही कहा जाएगा कि मात्र छह वर्षीय दृष्टिहीन बालक अपने से बड़े करीब 25 दृष्टिहीनों को पढ़ा लेता है। अलौकिक प्रतिभा यह कि किसी आदमी से एकबार मिलने के महीनों बाद भी उसे छूकर पहचान लेता है और बिना बताए उसका नाम भी बता देता है। समावेशी शिक्षा केंद्र पुराना केंद्रीय विद्यालय परिसर गौशाला रोड में अध्ययनरत बालक सूरज इस वक्त अन्य दृष्टिहीनों के लिए आदर्श बन चुका है। अंग्रेजी व हिंदी वर्णमाला का पूरा ब्रेल कोड याद कर चुका है।
कौन है यह सूरज :
खगड़िया के गौशाला रोड स्थित पुराना केंद्रीय विद्यालय में इस वक्त समावेशी शिक्षा केंद्र संचालित है। इसी में विशेष प्रशिक्षण केंद्र चल रहा है। दस माह पूर्व जब केंद्र के मैनेजिंग हेड राजीव रंजन अम्बष्ट को पता चला कि सदर प्रखंड के रांको में मायाराम तांती का चौथा संतान सूरज दृष्टिहीन है परंतु तेज दिमाग का है तो वे उनके माता-पिता से मिलने पहुंच गए। गरीबी में पल रहे सूरज में उन्होंने विलक्षण प्रतिभा देखी। पहले मना करने के बाद में मायाराम तांती अपने बेटे को उनके साथ भेजने को तैयार हो गए। इस केंद्र में उसने अपनी प्रतिभा गीत-संगीत में भी दिखाना शुरू कर दिया।
अभिरुचि बनाता है अन्य से अलग
सूरज को संगीत पर अच्छी पकड़ है। विश्व निश्शक्तता दिवस में उसके गायन शैली ने कई प्रशासनिक अधिकारी को हतप्रभ कर दिया था। शिक्षक यदुनंदन प्रसाद, संजीव कुमार चौधरी, पंकज कुमार मिश्र कहते हैं कि हम अन्य बच्चों से अलग इस पर मेहनत नहीं करते हैं। परंतु अभ्यास गत यह अपना सिर हिलाते रहता है। पहले तो शिक्षकों को लगता था कि पढ़ाई से ध्यान हटा हुआ है। परंतु पूछने पर वह सब कुछ बता देता है। उम्र में सबसे छोटा यह बालक शेष बच्चों को गीत गाना और ब्रेल कोड के 6 डॉट पर आधारित 63 सेप (आकृति) याद कर चुका है।
बोले, जिला शिक्षा पदाधिकारी डा. ब्रज किशोर सिंह
'सरकारी योजना के तहत इस वक्त तो उसे शिक्षा दी जा रही है। परंतु अवधि पूर्ण होने के बाद उसे वापस भेजना ही होगा। हमारे पास कोई अन्य योजना नहीं है।'