बच्चों के अभिभावक बने हुए हैं अविनाश
खगड़िया, संवाद सूत्र: शिक्षक नहीं वरन अभिभावक बनकर बच्चों के बीच शिक्षा का ज्ञान बांटते हैं अविनाशचंद
खगड़िया, संवाद सूत्र: शिक्षक नहीं वरन अभिभावक बनकर बच्चों के बीच शिक्षा का ज्ञान बांटते हैं अविनाशचंद्र विद्यार्थी। बच्चों को विद्यालय से जोड़ने और उसे नैतिकता का ज्ञान देने के
साथ-साथ साफ-सफाई पर भी विशेष ध्यान देने को लेकर इनकी शिक्षक समाज में खास पहचान है। सिर पर टोपी, जहां इनकी पहचान बनी हुई है। वहीं, अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ के भी संगठन मंत्री रहने से भी इनकी ख्याति शिक्षक समाज ही नहीं वरन समाज के लोगों के बीच खास हैं।
महादलित बच्चों को दिखाई स्कूल की राह :
सालभर पहले तक महादलित गांव झमटा-बरहरा में विद्यालय का हाल देखकर अविनाश चंद्र विद्यार्थी भावुक हो उठे। भावुकता के पीछे यह रहस्य था कि एक तो महादलित बच्चे यदा-कदा ही विद्यालय आते हैं और यदि आते हैं तो स्कूल बंद होने से पहले ही चले जाते हैं। उन्होंने विद्यालय से हटकर उन बच्चों के परिजनों को प्रेरित किया। तत्पश्चात बच्चों की तरह बच्चों से बात कर विद्यालय जाने को प्रेरित किया। इसके अलावा नहाने-धोने के लिए प्रेरित किया और एक दिन ऐसा आया कि बच्चे बिना कोई प्रयास के ही विद्यालय जाने लगे।
मिला आदर्श ग्राम के विद्यालय की कमान :
इनकी कर्मठता को देखकर ही विभाग द्वारा कई महीना पहले इन्हें आदर्श गांव तेताराबाद चंद्रपुरा मध्य विद्यालय के प्रधान के रूप में जिम्मेदारी दी गई। तब से यहां के बच्चों को भी शिक्षा के प्रति सजग बनाने व सुंदर जीवन शैली की
कल्पना दिखाने में वे जुटे हुए हैं। सबसे अहम बात है कि विद्यालय के बच्चों को क्याल जाने से पहले नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं। उन बच्चों को बोध कराते हैं कि माता-पिता का पैर छूकर विद्यालय आओ। इसके पीछे मंशा होती है कि झुकना सीखो। खुद को झुकने से जिंदगी की बहुत कुछ बाधाएं अपने आप दूर हो जाती है।
कहते हैं अविनाश चंद्र विद्यार्थी
'मेरी पहचान बच्चों से है। बच्चों के चरित्र-निर्माण में सहयोग करने से बच्चे भी अपने आप चरित्र निर्माण की दिशा में सजग होते हैं। बच्चों को पढ़ाई के प्रति ललक जगाने से लेकर किताबी ज्ञान से इतर भी बताया और समझाया जाता है। इससे भी उनकी ख्याति बढ़ती है।