Move to Jagran APP

जब निश्शक्त को देखकर भावुक हो उठी थी सुकांति

खगड़िया, संवाद सूत्र: परबत्ता के सुदूर नयागांव की सुकांति दो साल पहले निश्शक्त को देखकर भावुक हो उठी

By Edited By: Published: Thu, 18 Dec 2014 08:54 PM (IST)Updated: Thu, 18 Dec 2014 08:54 PM (IST)
जब निश्शक्त को देखकर 
भावुक हो उठी थी सुकांति

खगड़िया, संवाद सूत्र: परबत्ता के सुदूर नयागांव की सुकांति दो साल पहले निश्शक्त को देखकर भावुक हो उठी थी। दरअसल शहर से सटे सन्हौली पंचायत में 23 जनवरी, 1998 से संचालित सीताराम मेमोरियल इंटर स्तरीय विद्यालय की प्राचार्या सुकांति कुमारी को शिक्षा के प्रति जुनून ही इस मुकाम तक पहुंचाई कि आज सरकारी अधिकारी भी इस विद्यालय में जब आते हैं तो यहां की शिक्षा व्यवस्था, बच्चों की उपस्थिति और अनुशासन को देखकर यही महसूस करते हैं कि यहां का माहौल शांति निकेतन जैसा प्रतीत होता है।

loksabha election banner

मालूम हो कि सुकांति के पति रामकृपाल राय भी पेशे से शिक्षक हैं और उनके सहयोग से आज विद्यालय का बड़ा परिसर, छात्रावास, हाल के साथ-साथ बेहतर शिक्षा व्यवस्था को बनाए रखने में जिला में पहला स्थान बना पाया।

बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाती है

सुबह से ही विद्यालय पर बच्चों की भीड़ लगने लगती है। विद्यालय में रह रहे शिक्षक विवेकानंद झा से लेकर कई अन्य शिक्षक बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते हैं। इसका मोनेटरिंग सुकांति करती रहती है। इसके पीछे मकसद होता है कि कमजोर बच्चे पढ़ाई में मजबूत बने। साथ ही हर महीने होने वाली जांच परीक्षा में उनकी पढ़ाई की मजबूती परखी जाती है।

कई विद्यालय एक साथ संचालित

सीताराम मेमोरियल इंटरस्तरीय विद्यालय के साथ-साथ समीप ही बुद्धा पब्लिक स्कूल, मां तारा संस्कृत उच्च विद्यालय भी संचालित की जाती है। बच्चों में पढ़ाई के प्रति ललक जगाने हेतु खेलकूद से लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें प्रेरित किया जाता है।

2218 बच्चे हैं नामांकित

सरकारी विद्यालय से इतर यहां अभिभावक बच्चे के नामांकन को लेकर पहला विकल्प रखते हैं। आज की तिथि में यहां 2218 बच्चे नामांकित है और नियमित भी। इसे शिक्षा-दीक्षा देने हेतु अलग-अलग विषय के शिक्षक संकल्पित भाव से लगे रहते हैं।

जब भावुक हो उठी थी

2013 में दोनों पैरों से विकलांग जगदंबी जब विद्यालय पहुंचा तो उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसका यहां नामांकन हो पाएगा। सुकांति भावुक हो उठी और नामांकन ही नहीं उसके किताब-कांपी की भी व्यवस्था कर दी। आज जगदंबी 10 कक्षा का छात्र है। दूसरी कि निश्शक्त नीतीश के प्रति भी विद्यालय परिवार सजग है। गरीब बच्चों को फीस में कमी के साथ-साथ किताब-कांपी भी उपलब्ध कराई जाती है।

क्या कहते हैं प्राचार्या

प्राचार्या सुकांति कुमारी कहती है कि

बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले, यहां के बच्चे भी बिहार टापर बने, यह मंशा हमेशा विद्यालय परिवार की रहती है। कई बच्चे 1 से 10 के बीच आए भी। उन्होंने बताया कि यह एक कठिन तपस्या है। इसमें कठिनाई तो होती है,मगर उन कठिनाईयों को दूर करने में उनके पति के साथ-साथ विद्यालय परिवार के सदस्य भी आगे होते हैं। उनकी मंशा यह भी है कि यहां तकनीकी कालेज खुले ताकि यहां के बच्चों को कम खर्च पर ऊंची तालिम मिल सके।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.