आस्था का केन्द्र है बमकाली मंदिर
मानसी(खगड़िया)संवाद सूत्र: ब्रिटिश काल से मानसी के बम काली मंदिर में पूजा अर्चना पूरे विधि विधान से ह
मानसी(खगड़िया)संवाद सूत्र: ब्रिटिश काल से मानसी के बम काली मंदिर में पूजा अर्चना पूरे विधि विधान से होते आ रहा है। लोगों में अपार श्रद्धा देखते ही बनता है। जिले के इस ऐतिहासिक काली मंदिर में दीपावली की रात से ही श्रद्धालुओं की अपार भीड़ जुटने लगती है। अपनी-अपनी मन्नतें मां काली से श्रद्धालु मांगते हैं। सोना चांदी की जेवर से सजी मां काली के दर्शन कर लोग धन्य हो जाते हैं। मानो उसके सारे कष्ट दूर हो गए हों। इस पूजा को लेकर अभी से तैयारी जोर-शोर से की जा रही है।
कैसे हुई मां काली की यहां स्थापना
जानकारी के अनुसार 1800 ई. में मानसी के कालीचरण बरैय बंगाल से मां काली का श्रृंगार पिंडी लेकर यहां आए थे। तब से लेकर आज तक इसकी पूजा अर्चना धूमधाम से हो रही है। इस पहलू के पीछे भी एक किंवदंती है। कालीचरण बंगाल के काली मंदिर का पुजारी था। जब वह गांव आने लगा माता ने स्वप्न में कहा मैं भी तुम्हारे साथ जाउंगी। कालीचरण माता का श्रृंगार लेकर गांव आ गया। गांव आने के बाद माता पिंडी जगह स्थापित करने की कोशिश की लेकिन माता ने उस जगह को स्वीकार नहीं किया। अंत में काली सिंह का एक बगीचा था। वहां पर माता को स्थापित किया गया। जहां आज काली मंदिर मानसी बाजार है।