इंद्रियों पर नियंत्रण दिलाता है ईश्वरीय रूप: असंग साहेब
बेलदौर(खगड़िया)संसू: हर मनुष्य पूछता है डाक्टर, इंजीनियर कैसे बनता हैं? आजतक मनुष्य ने कभी ये ना पूछे कि भगवान कैसे बना जाता है। भगवान श्री राम ने विश्वामित्र से पूछा, भगवान कैसे बना जाता है? इस पर विश्वामित्र ने भगवान को बताया कि जो मनुष्य अपने जिह्वा एवं जनन इंद्री को वश में कर लेता है वह व्यक्ति भगवान बन जाता है। उक्त बातें गांधी उच्च विद्यालय बेलदौर के मैदान में आयोजित दो दिवसीय सुखद सत्संग के दौरान मंगलवार को अंतिम दिन के प्रथम समागम के दौरान संत असंग साहेब जी महाराज ने कही। प्रवचन के दौरान असंग साहेब ने कहा कि जिस तरह से श्रृंगी ऋषि के तपस्या को भंग करने के लिए अप्सरा उर्वशी को भेजा। ऋगिं ऋषि अपने जिह्वा एवं इंद्री पर काबू खो दिया। उर्वशी अपने मकसद में कामयाब हो गयी। जीवन के इस गूढ़ रहस्य का काफी सूक्ष्म तरीके से वर्णन करते हुए गुरूदेव ने सुखद जीवन जीने के लिए गूढ़ रहस्यों से भक्तों को अवगत कराते हुए कहा 'मानुस तेरा गुण बड़ा, मांस न आवै काज, हाड़ न होते आवरण, त्वचा न बाजन बाज।'
उन्होंने कहा कि मनुष्य की महानता की पूजा की जाती है। सभी देहधारियों में मनुष्य श्रेष्ठ है इसलिए मनुष्य की पूजा की जाती है। जिस परिवार में मेल है, वही परिवार सुखद है। उन्होंने बताया जिस तरह से साबुन के झाग से गंदा कपड़ा साफ हो जाता है ठीक उसी तरह मनुष्य के मन में बैठे गंदगी को धोने के लिए सत्संग की आवश्यकता है। सत्संग मन के विकार को धो देता है। जो मनुष्य अपने परिवार के सारे उलझन, दुख, परेशानियों को सह कर अपने परिवार को संचालित करता है इसलिए उनको महादेव उपाधि दी जाती है। पति को पत्नी के लिए भगवान कहा गया है इसलिए पति को भी चाहिए आचार-विचार ईश्वर के समान बनाएं। तभी वह ईश्वर का रूप और प्रेम पा सकता है। सत्संग की सफलता को ले कमेटि के अध्यक्ष संजय शर्मा के साथ ही अन्य सदस्य दिन-रात एक कर इसमें लगे रहे। मौके पर उपप्रमुख नूतन देवी, जिप सदस्य किरण देवी, मुखिया कुमारी बेबी रानी, विकास पासवान, रामशरण सिंह, मुरारी कुमार सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।