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दया और क्षमा ही है सबसे बड़ा धर्म: असंग बाबा

By Edited By: Published: Mon, 14 Apr 2014 09:27 PM (IST)Updated: Mon, 14 Apr 2014 09:27 PM (IST)
दया और क्षमा ही है सबसे बड़ा धर्म: असंग बाबा

बेलदौर (खगड़िया) संसू: जीवन में कम ही मित्र हो लेकिन सच्चा मित्र होना चाहिए। सच्चा मित्र से जीवन सुखद हो जाता है। उक्त बातें स्थानीय गांधी उच्च विद्यालय के मैदान में आयोजित दो दिवसीय सुखद सत्संग के दौरान सोमवार को प्रथम समागम में उपस्थित श्रद्धालुओं को उपदेश देते हुए राष्ट्रीय संत असंग साहेब जी महाराज ने कही। सत्संग का शुभारंभ पूज्य गुरूदेव असंग साहेब ने गुरू वंदना से आरंभ किया। भक्तों को भगवान के वंदना से पूरी तरह अपने प्रति आसक्त कर लिये। लोग सत्संग रूपी सरिता में डुबकी लगाकर जीवन को सुखद महसूस करने लगे। प्रवचन के दौरान असंग साहेब ने उपदेश देते हुए बताया जन्म अकेला हुआ, काफी झमेला हुआ, दफन करने चला तो मेला हुआ। जीवन के इस गूढ़ रहस्य का काफी सूक्ष्म तरीके से वर्णन करते हुए गुरूदेव ने सुखद जीवन जीने के लिए गूढ़ रहस्यों से भक्तों को अवगत करवाया। उन्होंने बताया कि भीड़ आदमी की हो और आदमी अकेला हो ये कैसी विडंबना है? उन्होने बताया संसार में दूसरों की बुराई को ढ़ूंढने से बेहतर है अपनी बुराई को ढ़ूंढकर उसे तत्काल दूर करना चाहिए। इससे भविष्य में गलती करने की संभावना कम हो जाती है और जीवन आनंदमय हो जाता है। मानव को जीवों पर दया रखनी चाहिए, दया धर्म ही सबसे बड़ा धर्म है। उन्होंने बताया संत तो गुलाब का फूल होता है जहां भी रहेगा सुगंध बिखेरेगा। संगत से गुण होत है, संगत से गुण जात। चींटी ने फूल की संगति की तो भगवान पर चढ़कर 56 भोगों का रसपान किया। लेकिन जब वही चींटी लकड़ी से संगति किया तो लकड़ी के साथ आग में इसे भी जलना पड़ा। तालियों की गड़गड़ाहट से पूज्य गुरूदेव का भव्य स्वागत किया गया। बाबा का कार्यक्रम एक निजी चैनल पर भी देखने की बतायी गई। वहीं, सत्संग की सफलता को कमेटि के अध्यक्ष संजय शर्मा दिन-रात लगे हुए है। मौके पर जिप सदस्य किरण देवी, मुखिया कुमारी बेबी रानी, महंथ दिनेश शर्मा, शंकर सिंह, मुरारी कुमार सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।


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