सावन के चलते निखरा हरी चूड़ियों का बाजार
कटिहार [तौफीक आलम]। धर्म-कर्म के साथ श्रृंगार के रंग से भरा सावन माह में हरी चूड़ियों का कारोबार भी निखर गया है।
कटिहार [तौफीक आलम]। धर्म-कर्म के साथ श्रृंगार के रंग से भरा सावन माह में हरी चूड़ियों का कारोबार भी निखर गया है। महिलाएं इन दिनों जमकर चूड़ियों की खरीदारी कर रही हैं। सावन में इन चूड़ियों की कीमत में भी उछाल आ जाता है।
हरी चूड़ियों को ¨हदू धर्म में सुहाग का प्रतीक माना गया है। यह सावन में होने वाले सोलह श्रृंगार का एक अहम हिस्सा भी है। खासतौर पर सावन के महीने में सुहागन महिलाओं के लिए हरे रंग की चूड़ियां पहनने का विशेष महत्व माना जाता है। सावन में हरे रंग की चूड़ियां पहनना एक प्राचीन परम्परा है, जो आज तक कायम है। जिले के फलका बाजार और पोठिया बाजार के चूड़ी दुकानों पर महिलाओं की भीड़ उमड़ रही है।
क्या कहते हैं दुकानदार :
इस संबंध में चूड़ी विक्रेता शंभू गुप्ता, अफरोज आलम आदि ने कहा कि सावन माह में हरे रंग की चूड़ी, मेहंदी, ¨बदिया और लाल रंग की नेल पॉलिश सहित अन्य सामग्री की बिक्री खूब हो रही है। विक्रेताओं ने बताया कि सुहागन महिलाएं सबसे ज्यादा पहुंच रही है।
क्या कहती हैं महिलाएं :
वहीं इस बाबत कविता देवी, नूतन, आरती, कंचन देवी, पूनम देवी, खुशबू आदि ने कहा कि पूर्वजों से सावन में सजने संवरने की परंपरा की जानकारी मिली है। हरे रंग की साड़ी सहित हरे रंग की चूड़ी और मेहंदी के साथ सोलह श्रृंगार करने को शुभ माना जाता है। यह भी मान्यता है कि सावन में हरी चूड़ी पहनने से पति की आयु बढ़ती है।
क्या कहते हैं पंडित :
फलका ठाकुर बाड़ी मंदिर के पंडित गोपी झा ने कहा कि सावन मास को हरियाली और प्रकृति का महीना माना जाता है। शास्त्रों में महिलाओं को शक्ति यानी प्रकृति का रूप माना गया है। हरे रंग को उपजाऊ शक्ति का प्रतीक माना जाता है। सावन के महीने में प्रकृति में हुए बदलाव से हार्मोन्स में भी बदलाव होते हैं। इसका प्रभाव शरीर और मन पर पड़ता है, जो स्त्री एवं पुरुषों में काम भावना को बढ़ाता है। जबकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हरा रंग बुध से प्रभावित होता है। बुध एक नपुंसक ग्रह है। इसलिए बुध से प्रभावित होने के कारण हरा रंग काम भावना को नियंत्रित करने का काम करता है। सावन में मेहंदी लगाने का वैज्ञानिक कारण भी यही माना जाता है।