शर्मनाक : बोरे में शव रखकर खींच रहे थे परिजन, देखने वालों के निकल आए आंसू
कटिहार के एक अस्पताल में भी उड़ीसा के दाना मांझी की तरह मृतक के परिजन शव को बोरे में भरकर ले जाने को विवश दिखाई दिए।
पटना [वेब डेस्क]। उड़ीसा के दाना मांझी जैसी एक वारदात बिहार के कटिहार में सोमवार दोपहर में देखने को मिली जब सदर अस्पताल के बाहर कुछ लोग शव को कपड़े में बांधकर प्लास्टिक के बोरे में भरकर दोनों हाथों से टांगे हुए पैदल लेकर जा रहे थे। यह नजारा देखकर लोगों की नजरें थम गईं।
आस-पास जाने वाले लोग बार-बार पूछ रहे थे बोरे में क्या है? ढोकर ले जाने वाले परिजन के यह कहने पर कि इस बोरे में इंसानी देह है, जिसे पोस्टमार्टम के लिए ले जा रहे हैं। यह सुनकर-देखकर लगा कि यहां के जिला अस्पताल में व्यवस्थाओं के साथ-साथ इंसानियत भी दम तोड़ चुकी है।
क्या है मामला
दरअसल दो सप्ताह पहले आई बाढ़ में कुर्सेला के बालू टोला में सिन्टू साह नाम का युवक गंगा नदी में डूब गया था। 25 सितम्बर को सिन्टू का शव परिजनों को मिला तो वे उसे लेकर सदर अस्पताल आए, लेकिन पूरे दिन चक्कर लगाने के बाद भी पोस्टमार्टम नहीं हुआ।
सोमवार को डॉक्टरों ने कहा कि शव को भागलपुर ले जाइए, यहां शव वाहन नहीं है। इसके साथ ही निर्देश देते हुए कहा कि शव को परिसर से तत्काल उठाओ। गरीब परिजन क्या करते? उन्होंने शव को ले जाने के लिए कोई भी वाहन उपलब्ध कराने की गुहार लगाई, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने साफ कह दिया कि जो करना है, करो लेकिन तत्काल शव यहां से हटा दो।
मीडिया में फैली खबर तो मिला शव वाहन
गरीब परिजनों ने हारकर शव को कपड़े में लपेटा और उसे बड़े से प्लास्टिक की बोरी में भरकर हाथों से टांगते हुए पैदल उस बोरी को ढोकर ले जाने लगे। जब मीडिया में इस बात की खबर फैली कि तुरत प्रशासन ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए रात 8:30 बजे परिजनों को वाहन उपलब्ध कराया।
कहा सिविल सर्जन ने -शव खराब था इसलिए भागलपुर भेजा गया
कटिहार के सिविल सर्जन एचसी झा ने बताया कि रविवार को शव लेकर परिजन आए थे। शव की हालत खराब थी और अत्यधिक खराब रहने के कारण ही शव को पोस्टमार्टम के लिए भागलपुर रेफर कर दिया था। यहां कोई शव वाहन नहीं है।