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किसानों को खल रही कृषि आधारित उद्योगों की कमी

कटिहार। किसानों के लिए भले ही एक से बढ़कर एक योजनाएं चलाई जा रही हो। बीज अनुदान से लेकर डीजल अनुदान

By Edited By: Published: Sun, 29 Nov 2015 10:34 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2015 10:34 PM (IST)
किसानों को खल रही कृषि आधारित उद्योगों की कमी

कटिहार। किसानों के लिए भले ही एक से बढ़कर एक योजनाएं चलाई जा रही हो। बीज अनुदान से लेकर डीजल अनुदान की घोषणाएं हो रही है। लेकिन किसानों में खेती को लेकर रूझान घटता जा रहा है। लगातार वैज्ञानिक पद्धति ने भले ही उत्पादन की वृद्धि हुई हो और लागत कम हुई है, लेकिन अपेक्षित लाभ अब भी किसानों को नहीं मिल पा रहा है। कृषि आधारित उद्योग की स्थापना न होने से किसानों में मायूसी बढ़ रही है। हालांकि कृषि आधारित उद्योग लगाने की घोषणाएं कई बार हो चुकी है। लेकिन यह आकार नहीं ले पाई है। मक्का उत्पादन के मामले में यह क्षेत्र अग्रणी है। बावजूद इसके अनाज का सही मूल्य न मिल पाने के कारण किसानों का मुनाफा घट रहा है।

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किसानों को नहीं मिल रहा शत प्रतिशत लाभ : किसानों के लिये डीजल अनुदान, फसल बीमा, उन्नत बीजों का वितरण, कृषि मेले के जरिये किसानों को अनुदानित दरों पर कृषि उपकरण भी उपलब्ध कराये जाने को लेकर लगातार प्रयास किये जा रहे है। साथ ही किसानों को उन्नत खेती के लिये प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। जिसका किसानों को लाभ भी मिल रहा है। लेकिन किसानों को मिलने वाले अनुदान के लिए आज भी किसान कार्यालयों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। खरीफ फसल के लिए डीजल अनुदान को लेकर किसान कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं। वही पिछले वर्ष अनुदान के रूप में मिल रहे खाद में घटिया किस्म की खाद उपलब्ध कराने कि शिकायत और उत्पादन पर असर पड़ने के कारण किसानों में संशय की स्थिति बनी हुई है। वहीं सिंचाई की जटिल समस्या भी किसानों को परेशान कर रही है। लागत के अनुसार मुनाफा न मिलने के कारण छोटे किसान किसानी से पीछे हट रहे हैं।

मजदूरों की कमी भी है गंभीर समस्या : रोजगार के अभाव में मजदूरों का पलायन भी किसानों के लिए गंभीर समस्या बन चुकी है। क्षेत्र में रोजगार के अभाव में मजदूर पलायन करने को विवश हैं। रबी की बोआई के समय मजदूरों की कमी किसानों के लिए गंभीर समस्या साबित हो रही है। मजदूरों की कमी के कारण रबी की बोआई लगातार प्रभावित हो रही है। भले ही मनरेगा और अन्य योजना चलाकर रोजगार दिलाने की कोशिश भी नाकाम साबित हो रही है। किसानी के समय इस समस्या के कारण किसानों की खेती प्रभावित हो रही है। बढ़ती मजदूरी के कारण बढ़ रही लागत के कारण छोटे किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पर रहा है।


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