यहां बेटी के साथ बेटों की शादी की भी रहती फिक्र
कटिहार। गंगा व महानंदा के कोप का भाजन बनता रहा अमदाबाद प्रखंड क्षेत्र में लोगों के लिए अब बेटा-बेटी
कटिहार। गंगा व महानंदा के कोप का भाजन बनता रहा अमदाबाद प्रखंड क्षेत्र में लोगों के लिए अब बेटा-बेटी की शादी कराना भी दूभर हो गया है। नदियों के तांडव से दुरुह भौगोलिक स्थिति के चलते बाहर के लोग इन गांवों में शादी-ब्याह से साफ मना कर देते हैं। बेटी की शादी येन केन प्रकारेण हो भी जाय, लेकिन बेटों की शादी कराना टेढ़ी खीर हो जाती है।
प्रखंड में पिछले कई वषरें से गंगा एवं महानंदा नदी का तांडव जारी है। प्रत्येक वर्ष बड़ी आबादी कटाव की शिकार होकर विस्थापित हो रहे है। फलाफल लोगों की माली हालत भी लगातार बदतर होती जा रही है। इतना ही नहीं आवागमन की समस्या भी लगातार विकराल होती जा रही है। जिला मुख्यालय तो दूर प्रखंड मुख्यालय तक आने में लोगों के पसीने उतर जाते हैं। प्रखंड को मनिहारी अनुमंडल से जोड़ने वाली सड़क भी कई वषोर्ें से अधर में है। इसी तरह प्रखंड में 18 वषरें से बिजली व्यवस्था ध्वस्त है। पेयजल सहित स्वास्थ्य सुविधाओं का भी हाल-बेहाल है। बाहर से आने वाले मेहमान यहा की स्थिति देख उल्टे पाव लौट जाते हैं।
क्या कहते हैं लोग : कोशीजल्ली टोला के कंठीलाल चौधरी व गोलाघाट के जयराम सिंह का कहना है कि अमदाबाद प्रखंड में सड़क, बिजली की समस्या वषरें से रही है। ऐसे में बाहर से आने वाले लोग यहा शादी ब्याह करने से कन्नी काट जाते हैं। गौरव सिंह, दिनारम टोला के टिंकु मंडल कहते हैं कि हमारे चौकिया पहाड़पुर पंचायत की सीमा पश्चिम बंगाल से लगी है। वहां चकाचक बिजली जलती है। जबकि हमारे यहा 18 वषरें से बिजली व्यवस्था ध्वस्त है। प्रखंड मुख्यालय जाने हेतु एक भी सुगम मार्ग नहीं है। खेतों की पगडंडियों से होकर आवागमन करना पड़ता है। यहा प्रत्येक वर्ष बाढ़ भी आती है। जिससे करीब चार माह तक आवागमन बाधित रहता है। जिस कारण बाहरी लोग अपने बेटे बेटियों की शादी यहां नहीं करना चाहते हैं। यहा 1998 के बाद जन्म लेने वाले बच्चे बिजली के दर्शन को तरस रहे हैं।