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कहने को प्लस टू विद्यालय, व्यवस्था प्राइमरी से बदतर

कटिहार। वर्तमान में जहां प्राइवेट विद्यालय में नर्सरी में पढ़ने वाले बच्चे भी बैंच- डेस्क में बैठ कर

By Edited By: Published: Tue, 04 Aug 2015 01:15 AM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2015 01:15 AM (IST)
कहने को प्लस टू विद्यालय, व्यवस्था प्राइमरी से बदतर

कटिहार। वर्तमान में जहां प्राइवेट विद्यालय में नर्सरी में पढ़ने वाले बच्चे भी बैंच- डेस्क में बैठ कर पढ़ते हैं, वहीं सरकारी हाई स्कूलों में भी बच्चों को जमीन पर बैठकर पढ़ना पड़ता है। सरकारी विद्यालय की हालत यह है कि विद्यालय में ना तो बैठने की व्यवस्था है और न ही पढ़ाने के लिए समुचित संख्या में शिक्षक। बानगी कभी प्रदेश में अपना स्थान रखने वाला जेएनसी प्लस टू उच्च विद्यालय है। जहां की हर व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है। विद्यालय की व्यवस्था सिर्फ नामाकन और परीक्षा तक ही सिमट कर रह गयी है। प्लस टू जेएनसी उच्च विद्यालय में 24 सौ के आसपास छात्र है। उनके बैठने के लिए ना तो कमरे हैं, ना उपस्कर। सिर्फ नवम् वर्ग में 1329 छात्र नामाकित है। ऐसे में वर्ग नवम के सारे छात्र के जाने पर उनके बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है। अभी विद्यालय में वर्ग नवम की प्रथम सर्वाधिक परीक्षा चल रही है। कमरे व उपस्कर के अभाव में छात्र बरामदे सहित खुले आसमान के नीचे बैठ कर परीक्षा दे रहे हैं। ऐसे में गुणवक्ता पूर्ण शिक्षा की बात यहां पूरी तरह बेमानी हो गयी है।

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क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीण प्रेमप्रकाश गुप्ता, बकरूद्दीन अंसारी, बालमुकुंद टीबड़ेवाल, देवेन्द्र यादव आदि का कहना है कि इस विद्यालय पर न तो प्रशासन और न हीं क्षेत्रीय विधायक का। कई जगह मोर्डन उच्च विद्यालय बन रहे हैं, लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है।

क्या कहते हैं प्रधानाध्यापक

प्रभारी प्रधानाध्यापक मो शमीम अख्तर ने कहा कि नामाकन के अनुसार यहां न तो भवन है और न हीं उपस्कर की व्यवस्था। शिक्षक भी काफी कम हैं। जहा तक हो पाता है, गुणवक्ता पूर्ण शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है।


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