तूफान से क्षति के आंकड़ों में भी गड़बड़झाला
जासं, कटिहार : मौसम में बदलाव और मंगलवार की रात आए तेज आंधी के कारण फसलों को भारी क्षति पहुंची है।
जासं, कटिहार : मौसम में बदलाव और मंगलवार की रात आए तेज आंधी के कारण फसलों को भारी क्षति पहुंची है। फसल क्षति को लेकर सर्वे रिपोर्ट में विरोधाभास से संशय की स्थिति बनी हुई है। विभिन्न प्रखंडों से फसल क्षति आकलन में करीब 55 हजार हेक्टेयर में लगी मक्का, गेंहू और केले की खेती को नुकसान होने संबंधित जानकारी मिली है। जबकि कृषि विभाग द्वारा महज 6500 एकड़ में लगी मक्का एवं केले की खेती के नुकसान होने की बात कही गयी है। जिससे किसानों में आक्रोश व्याप्त है। वहीं मुख्यालय स्तर से जिले में करीब दो हजार मकानों को क्षति पहुंचने की रिपोर्ट मिलने संबंधी जानकारी मिली है। जबकि सिर्फ कदवा प्रखंड में ही अंचल स्तर पर कराए गए सर्वे में 15 हजार घरों को नुकसान होने की बात सामने आयी है। क्षति से संबंधित सही रिपोर्ट नहीं मिलने से कई प्रभावित लोग मुआवजा व सहायता से वंचित हो जाएंगे। प्रशासनिक आकलन से अलग सैकड़ों की संख्या में किसानों ने अलग-अलग प्रखंडों में क्षति संबंधी आवेदन प्रखंड कार्यालय में जमा किये है। वहीं अब तक सरकारी सहायता मिलने से किसान एवं तूफान पीड़ित सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। दियारा इलाके में एक पखवाड़ा पूर्व बेमौसम बाढ़ के कारण सैकड़ों एकड़ में लगी फसल बर्बाद हुई थी। सर्वे कराने के बाद विभाग ने तीन करोड़ रूपये क्षतिपूर्ति की मांग की थी। कृषि विभाग द्वारा कराए गए आकलन के मुताबिक तूफान के कारण 5500 हेक्टेयर में लगी मक्का और एक हजार हेक्टेयर में लगी केले की फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। वहीं पिछले दिन भी बारिश और दियारा क्षेत्र में बेमौसम बाढ़ के कारण हजारों हेक्टेयर में लगी फसल बर्बाद हुई थी। किसान इससे उबर भी नहीं पाए थे कि मंगलवार की रात काल बनकर आयी आंधी-पानी ने रही सही कसर पूरी कर दी। पिछले एक पखवाड़े में गेंहू, मक्का, केला सहित अन्य मौसमी फसलों को क्षति पहुंची है। तीस हजार हेक्टेयर में गेंहू की फसल को क्षति पहुंची है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि करीब 56 हजार हेक्टेयर में खेती प्रभावित हुई है। कृषि विभाग द्वारा प्रति हेक्टेयर बर्बाद मक्के के लिए करीब चौदह हजार तथा प्रति हेक्टेयर केले के लिए करीब दो हजार मुआवजा प्रभावित किसानों को मुआवजा देने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। मौसम की मार के कारण जिले में 80 करोड़ की फसल क्षति हुई है। कोढ़ा, फलका, समेली, बरारी, कुरसेला एवं डंडखोरा में सबसे अधिक क्षति हुई है। वहीं तूफान के कारण 1800 घर और झोपड़ी को भी नुकसान हुआ है।
-अब दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी हुआ मुश्किल
तूफान के कारण फसल की बर्बादी और घरों को क्षति पहुंचने के कारण सैकड़ों परिवार खुले आसमान के नीचे आ गए हैं। सब कुछ गंवा चुके प्रभावित परिवार के सामने दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल साबित हो रहा है। सरकारी स्तर से अब तक इस दिशा में कोई पहल नहीं की गयी है। तूफान के कारण दो लोगों की मौत हो जाने के मामले में मृतक परिवार को 4 लाख का मुआवजा दिए जाने की घोषणा की गयी है। लेकिन खुले आसमान के नीचे आए प्रभावित परिवारों के लिए किसी तरह की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गयी है। फलका, बलरामपुर जैसे प्रखंड में दर्जनों पीड़ित परिवार नहर एवं बांध के समीप पिछले दो दिनों से रहने को विवश हैं। छोटे-छोटे बच्चों का हाल तो और भी बुरा है।