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कटिहार मंडल कारा में कैदी ही नहीं कारा प्रशासन भी दो गुटों में

By Edited By: Published: Sun, 27 Jul 2014 07:56 PM (IST)Updated: Sun, 27 Jul 2014 07:56 PM (IST)
कटिहार मंडल कारा में कैदी ही नहीं कारा प्रशासन भी दो गुटों में

- पूर्व में सहायक जेलर रहते हुए भी लंबे समय तक लिपिक बना रहा जेलर

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- जेल आईजी के हस्तक्षेप बाद सहायक जेलर का मिला प्रभार

- राकेश यादव व कुंदन मिश्रा गुट के कैदियों को मुलाकती में मिलती थी विशेष छूट

- विकलांग एवं बूढ़े जवानों के भरोसे हैं कटिहार मंडल की सुरक्षा व्यवस्था

जागरण संवाददाता, कटिहार: कटिहार मंडल कारा के कैदी ही दो गुटों में नहीं बंटे थे बल्कि कारा प्रशासन भी दो खेमे में बंटा हुआ है। यही वजह रही की कारा में कैदियों के आपसी विवाद पर समय रहते रोक नहीं लग पायी। कैदियों के बीच घटी घटना के बाद अब बात परत दर परत खुलकर सामने आने लगी है। कटिहार मंडल कारा में वर्तमान सहायक जेलर के पदस्थापना बाद भी कई माह तक उन्हें जेलर का प्रभार तक नहीं मिला। बल्कि इस काम के मंडल कारा का एक लिपिक करता रहा जिसका तबादला वर्तमान में खगड़िया कारा हो गया है। उस वक्त के काराअधीक्षक ने वर्तमान के सहायक जेलर के प्रभार तक नहीं दिलाया था तथा उनके द्वारा बिना पदभार ग्रहण किये ही कई माह तक वेतन का उठाव किया जाता रहा। बाद में सूबे के कारा आईजी ने कटिहार मंडल कारा के तत्कालीन कारा अधीक्षक से इस बात का स्पष्टीकरण पूछा कि कारा मे् सहायक जेलर पदस्थापित रहने के बाद भी उन्हें अभी तक प्रभार नहीं देकर दूसरे किसी से काम क्यों कराया जा रहा है। जब जाकर सहायक जेलर के उनका प्रभार मिला। बताया जाता है कि यहीं से कटिहार मंडल कारा की व्यवस्था में गड़बड़ी की शुरूआत हुई। राकेश यादव एवं कुंदन मिश्रा सहित उसके गुट के सभी कैदियों को मुलाकती में विशेष छूट दी जाने लगी। कई दिन तो इन कैदियों को एक दे घंटे नहीं बल्कि तीन से चार घंटे तक मुलाकती में आये लोगों से बात करने की छूट दे दी जाती थी। यह सब कुछ सरेआम चलता रहा लेकिन किसी ने इस मामले को रोकने की कोशिश नहीं की। घटना के दो दिन पूर्व भी वर्तमान कारा अधीक्षक ने मुलाकती व्यवस्था पर अपनी कड़ी टिप्पणी दर्ज करते हुए सहायक जेलर एवं मुलाकती प्रभारी को इस मामले में सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया। कटिहार मंडल कारा प्रशासन का आलम यह था कि कारा अधीक्षक द्वारा अगर किसी बात का सख्ती से पालन का निर्देश दिया जाता था तो इस निर्देश को सहायक जेलर द्वारा मानने की कोई बाध्यता नहीं थी। कारा की सुरक्षा व्यवस्था भी भगवान भरोसे ही है। यही वजह है कि जब कैदियों के दो गुटों के बीच मारपीट की घटना शुरू हुई तो वहां सुरक्षा में तैनात की पुलिस कर्मी मूकदर्शक बन तमाशा देखते रहे। कारा की सुरक्षा के लिये जो जवान तैनात है उसमें एक जवान विकलांग तो आधे दर्जन से अधिक जवान बूढ़े हैं। फिलहाल कारा में कैदियों के बीच हुए विवाद को देखते हुए कारा प्रशासन द्वारा तेरह कैदियों को अब तक स्थानांतरित किया जा चुका है। पहले बारह कैदी बेगूसराय एवं मुज्फ्फरपुर कारा भेजे गये थे जबकि तेरहवें कैदी को भागलपुर केन्द्रीय कारा भेजा गया है।


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