अब तक नहीं हो पायी हार्डकोर नक्सलियों की पेशी
::मामला वर्ष 2011 में गिरफ्तार नक्सली सेंट्रल कमेटी के तीन सदस्यों का
::न्यायालय में पेशी नहीं होने से आरोप पत्र भी गठित नहीं
::दूसरे राज्यों की जेलों में बंद हैं सुब्रह्मण्यम, मुखर्जी और आर्या
::न्यायालय ने बंध पत्र खारिज कर जारी किया गैर जमानतीय वारंट
::राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुआ था यह मामला
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कोट के लिये
इस मामले के सभी आरोपियों को पुलिस जल्द से जल्द लाने के लिये आवश्यक पहल करेगी: क्षत्रनील सिंह एसपी कटिहार
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नीरज कुमार, संवाद सूत्र, कटिहार: नक्सली मुहिम पर नकेल कसने को लेकर पुलिस और शासन तंत्र चाहे लाख दावा करे, लेकिन इसको लेकर पुलिस और प्रशासनिक अमला कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि करीब चार वर्ष पूर्व कटिहार के बारसोई कचना क्षेत्र से गिरफ्तार किए गए सात हार्डकोर नक्सलियों में इसके सेंट्रल कमेटी के तीन शीर्षस्थ नेता वाराणसी सुब्रह्मण्यम, पूर्णेदु मुखर्जी एवं विजय कुमार आर्या के विरूद्ध तीन वर्ष बाद भी आरोप पत्र गठित नहीं हो पाया है। पिछले दो वर्षो में न्यायालय द्वारा पेशी को लेकर तारीख भी तय की गयी। लेकिन इन हार्डकोर नक्सली नेताओं को न्यायालय में पेश नहीं किया जा सका। पेशी नहीं होने के कारण इनके विरूद्ध आरोप पत्र भी गठित नहीं किया जा सका है। न्यायालय ने पिछले तारीख पर पेशी नहीं होने पर उक्त तीनों नक्सली नेताओं का बंध पत्र खारिज करते हुए गैर जमानतीय वारंट जारी करने का निर्देश देते हुए 28 अगस्त को अगली तिथि निर्धारित की है। सवाल उठता है कि न्यायालय द्वारा तारीख पर तारीख दिए जाने के बावजूद दूसरे राज्यों की जेलों में बंद तीनों नक्सली नेताओं की पेशी को लेकर पुलिस और प्रशासनिक तंत्र कितना संवेदनशील था। नक्सली सेंट्रल कमेटी के तीनों सदस्य देश भर में नक्सली आपरेशन के मास्टर माइंड माने जाते हैं। बावजूद इसके सरकारी अमला पिछले तीन वर्षो में इस पूरे मामले में उदासीन रहा।
:::क्या है पूरा मामला
वर्ष 2011 के मई माह में बारसोई अनुमंडल के कचना से नक्सली नेता सुब्रह्मण्यम, पी मुखर्जी, विजय कुमार आर्या सहित अनिरूद्ध रविदास, उमेश कुमार,प्रकाश चौधरी एवं नोखेलाल को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने न्यायालय में आरोप पत्र भी दाखिल किया। सभी अभियुक्तों को बाद में न्यायालय से जमानत भी मिली थी।