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नौ घंटे में कारा प्रशासन ने तय की दो किमी की दूरी

By Edited By: Published: Tue, 22 Jul 2014 06:44 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jul 2014 06:44 PM (IST)
नौ घंटे में कारा प्रशासन ने तय की दो किमी की दूरी

फोटो:- 22केएटी-12

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कैप्शन:-

:: मामला कैदी शमीम की मौत का

:: कारा चिकित्सक ने बीएसटी पर घटना सकी सुबह ही किया था रेफर

::कारा प्रशासन ने शाम में अस्पताल में कराया भर्ती

::डीएम द्वारा गठित जांच टीम मंगलवार को पहुंची मंडल कारा

कोट:-

मारपीट की घटना के बाद मंडल कारा के बाहर भारी भीड़ जमा थी। जख्मी कैदियों का इलाज मंडल कारा में ही तत्काल कराया गया। कानून व्यवस्था के मद्देनजर संबंधित अधिकारियों से विचार-विमर्श के बाद जख्मी कैदी को इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया।

बी कुमार, मंडल कारा अधीक्षक

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नीरज कुमार, संसू, कटिहार : शनिवार को मंडल कारा में कैदियों के दो गुटों में हुए टकराव के बाद जेल प्रशासन ने गंभीर रूप से जख्मी कैदी शमीम अख्तर को सदर अस्पताल लाने में नौ घंटे लगा दिए। मंडल कारा से सदर अस्पताल की दूरी महज दो किमी है। देर से इलाज शुरू होने के कारण कैदी शमीम की इलाज के दौरान भागलपुर में मौत हो गयी। इतना ही नहीं जख्मी कैदियों को इलाज के लिए अस्पताल लाने गयी एम्बुलेंस को भी मंडल कारा से बैरंग वापस भेज दिया गया। घटना के बाद जेल के चिकित्सक ने बीएसटी पर जख्मी शमीम को तुरंत सदर अस्पताल भेजने की बात कही। दोपहर करीब तीन बजे लगातार बिगड़ती स्थिति को देखते हुए पुन: अस्पताल भेजने की अनुशंसा की। इस बीच सदर अस्पताल के चिकित्सक को भी बुलाया गया। इस पूरे मामले में कारा प्रशासन अपनी गलती पर पर्दा डालने की कोशिश ही कर रहा है। जेल प्रशासन मंडल कारा के बाहर एकत्रित भीड़ के उग्र होने की बात कह जख्मी कैदी को अस्पताल भेजने में हुई विलंब का कारण बता रहा है। लेकिन घटना के दिन कारा के बाहर बमुश्किल सौ लोगों की भीड़ ही जमा थी। वह भी महज कुछ देर के लिए। सवाल उठता है कि डाक्टर द्वारा सुबह सात बजे के करीब ही जख्मी कैदी को अस्पताल भेजने की बात कही गयी थी, तो जेल प्रशासन आखिर किसकी अनुमति की प्रतीक्षा कर रहा था। सूत्र बताते हैं कि मंडल कारा के जेल में दो आक्सीजन सिलिंडर मौजूद रहने के बावजूद आक्सीजन लगाने में सिर्फ इसलिए विलंब हुआ कि चाबी को ढ़ूंढ़ने में काफी वक्त लगा दिया गया। हालांकि कारा अधीक्षक का कहना है कि जेल में जख्मी कैदियों के इलाज की मुक्कमल व्यवस्था रहती है। जेल के अंदर इलाज में कोई कोताही नहीं बरती गयी। उधर, मंगलवार को जिला पदाधिकारी द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच टीम ने मंडल कारा जाकर मामले की जांच की। जांच टीम में अपर समाहर्ता अशोक झा, डीसीएलआर राकेश रमण एवं अपर पुलिस अधीक्षक छोटे लाल प्रसाद शामिल हैं।


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