चार भाईयों में दो भाई हैं सालों से लापता
थाना क्षेत्र के धरहरा गांव के संपन्न परिवार से आने वाले टीपू केवट ईंट व्यापार के कभी नामी व्यवसायी हुआ करते थे।
कैमूर। थाना क्षेत्र के धरहरा गांव के संपन्न परिवार से आने वाले टीपू केवट ईंट व्यापार के कभी नामी व्यवसायी हुआ करते थे। उनका जनता मार्का ईंट यूपी बिहार में केवल नाम के बल पर बिकता था। ईंट उद्योग ने टीपू को सामाजिक पहचान दिलाई थी। लेकिन परिवार को पहला सदमा तब लगा जब टीपू के बड़ा भाई पप्पू केवट सालों पहले लापता हो गया। यही नहीं उसके बाद टीपू का सबसे छोटा भाई ¨टकू केवट भी सालों पहले बनारस से लापता हो गया। जिसके बारे में आज तक किसी को कुछ भी पता नहीं चला कि वह ¨जदा है भी या नहीं। इस परिवार को सबसे दर्दनाक सदमा तब लगा जब परिवार का मुखिया और ईंट भट्ठा मालिक टीपू केवट का शव बुधवार की सुबह रेलवे पटरी पर मिला। चार भाईयों में अविनाश कुमार उर्फ ¨रकू ही बचा है। बताया जाता है कि टीपू केवट के कुल चार बच्चे थे। जिसमें दो बेटे और दो बेटियां चारों का शिक्षा दीक्षा बनारस में हो रहा था। सूत्रों की माने तो ईंट उद्योग चलाने वाले टीपू के ऊपर लाखों रुपये का कर्ज था। लोग पैसे का तगादा करते थे। लेकिन टीपू पैसा दे पाने में असमर्थ थे। लोगों का मानना है कि कर्ज की बोझ से टीपू ने आत्म हत्या की है तो वहीं एक बात यह भी सामने आ रही है कि पैसे की लेन देन में मंगलवार की सुबह और शाम टीपू से कुछ लोगों की तीखी नोंकझोंक और बहस हुई थी और अंजाम भुगतने की धमकी भी मिली थी।