नुआंव प्रखंड नदी में अवैध तरीके से मारी जा रही मछलियां
जल जीवों को लीलते मनुष्य की लालच से उनके अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है।
कैमूर। जल जीवों को लीलते मनुष्य की लालच से उनके अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। हालांकि इसको रोकने के लिए बिहार जला कर प्रबंधन विधेयक 2006 में ठोस प्रावधान किए गए हैं। परंतु इसके अनुपालन कराने वाले अधिकारियों की शिथिलता के कारण यह कानून धरातल पर दम तोड़ते नजर आ रहा है। विभागीय लापरवाही के कारण नदी, तालाब एवं अन्य जलाशयों में मछली माफिया आये दिन उद्देश्य पूर्ण जल प्रदूषण, अतिक्रमण, जलकरों की विकृति, डायनामाइट जैसे विस्फोटक पदार्थ जहर एवं उसके जैसे जहरीले पदार्थ का उपयोग कर मछली मारते देखे जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में जलाशयों के किनारे हजारों मछलियां सड़ने की वजह से वातावरण प्रदूषित हो रहा है। जिससे सीमावर्ती गांवों में महामारी फैलने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। पिछले एक माह से नुआंव प्रखंड से दो किलो मीटर पूरब गोरिया नदी में सातो एवंती , बिंदपुरवा स्टेडियम से आधा किलो मीटर उत्तर नदी में मछली माफिया बेड़ा लगाकर चिलवन के माध्यम से मछली मार रहे हैं। गोरिया नदी में सोनवर्षा गांव के समीप भी चिलवन लगाया गया है। जिससे तटवर्ती गांवों में जल की समस्या उत्पन्न है। नुआंव प्रखंड मत्स्य जीवी सहयोग समिति के सदस्य बबन राम ने जिला पदाधिकारी सह अध्यक्ष जलकर प्रबंधन समिति व जिला मत्स्य पदाधिकारी को आवेदन देकर समिति के अध्यक्ष एवं सचिव पर गोरिया नदी में चिलवन लगा कर मछली मरवाने का आरोप लगाये जाने के बाद डीएम ने जिला मत्स्य पदाधिकारी को जांच कर कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इस संबंध में पूछे जाने पर जिला मत्स्य पदाधिकारी सत्येन्द्र राम ने बताया कि शिकायत मिली है। जिसकी जांच करने का निर्देश मत्स्य पर्यवेक्षक को दिया गया है। शिकायत सही पाये जाने पर जल कर प्रबंधन अधिनियम के तहत संबंधित लोगों पर कार्रवाई की जायेगी। जिसमें छह माह का कारावास भी शामिल है। उधर समिति के अध्यक्ष से पूछे जाने पर बताया कि गोरिया नदी में मुझे चिलवन लगा कर मछली मारने का अधिकार मत्स्य विभाग से प्राप्त है।