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स्वस्थ समाज के निर्माण में सच्चिदानंद ने कायम की मिसाल

By Edited By: Published: Fri, 22 Aug 2014 08:54 PM (IST)Updated: Fri, 22 Aug 2014 08:54 PM (IST)
स्वस्थ समाज के निर्माण में सच्चिदानंद ने कायम की मिसाल

जासं, भभुआ(कैमूर) : आधुनिक भौतिकवादी युग में भी मानवीय मूल्य को बचाए रखने वालों में अभी भी बहुत लोग शामिल हैं। ज्वलंत प्रमाण के रूप में 18 वर्षो से सेवा मुक्त चिकित्सक सच्चिदानंद सिंह का आम जन के स्वास्थ्य के अधिकार की रक्षा को ले समर्पण की भावना काफी प्रासंगिक है। एमबीबीएस होने के बावजूद वे अन्य चिकित्सकों की भांति सौ या पांच सौ रुपया परामर्श शुल्क लेने की जगह मात्र 20 रुपये ही फीस लेते हैं। इतना ही नहीं किसी गरीब रोगी के पहुंचने पर फीस लेना तो दूर उसकी दवा की व्यवस्था भी स्वयं करा देते हैं।

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1996 में भभुआ के जिला यक्ष्मा पदाधिकारी के पद से सेवानिवृत्त होने के पूर्व मुजफ्फरपुर, हाजीपुर, बक्सर, मोहनियां आदि के अस्पतालों में चिकित्सक सेवा के दौरान गरीब रोगियों के प्रति समर्पण का भाव बनाये रखे। उन्होंने इस दौरान यक्ष्मा व परिवार नियोजन संबंधित कई प्रशिक्षण प्राप्त किये तथा गांव में लोगों को रोगों से बचाव के लिए जागरूक किया।

डा0 सच्चिदानंद सिंह ने सेवानिवृत्त होने के बाद भी सेवा से अपने को अलग नहीं किया बल्कि वे लेप्रा इंडिया से जुड़कर गांधी कुष्ठ निवारण संस्थान भभुआ में रोगियों की सेवा करते रहे। इन्होंने भभुआ पोषण पुनर्वास केन्द्र का भी कुछ वर्षो तक संचालन किया। वर्तमान समय में भभुआ एसवीपी कालेज रोड स्थित अपने आवास पर रह कर लोगों की चिकित्सा सेवा कर रहे हैं। वे आने वाले रोगियों को दवा देने के साथ साथ प्राकृतिक परिवेश में रहने तथा औरों के लिये जीने की सीख भी देते रहते हैं।


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