आखिर कहां गए 85 हजार बच्चे
जमुई। जिले में 85 हजार स्कूली छात्र कहां लापता हो गए, यह रहस्य खोल पाने में शिक्षा विभाग भी असमर्थ साबित हो रहा है।
जमुई। जिले में 85 हजार स्कूली छात्र कहां लापता हो गए, यह रहस्य खोल पाने में शिक्षा विभाग भी असमर्थ साबित हो रहा है। जिले में 1704 प्राथमिक व मध्य विद्यालय हैं। इन स्कूलों में नामांकित बच्चों की संख्या चार लाख दो हजार है। वहीं वार्षिक परीक्षा (मूल्यांकन) मात्र तीन लाख 16 हजार 842 छात्र दे रहे हैं। मतलब 85 हजार 158 बच्चे, यानी 21 फीसद परीक्षा से गायब हैं। इतना ही नहीं छमाही परीक्षा भी इन बच्चों ने नहीं दी थी। मध्याह्न भोजन योजना के आंकड़ों में भी स्पष्टता नहीं दिखती है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि कहीं ये बच्चे नामांकन के बाद स्कूल से ड्रॉप आउट तो नहीं हो गए या फिर नामांकन में फर्जीवाड़ा का खेल खेला गया। क्योंकि इससे संबंधित जितने भी आंकड़े हैं वे अलग-अलग संख्या बता रहे हैं।
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आंकड़ों की दिलचस्प सच्चाई
आंकड़े किसी संख्या की सच्चाई जानने का पारामीटर होता है। जिले में स्कूल चलें अभियान के बाद शिक्षा विभाग की रिपोर्ट में बच्चों के ड्रॉप आउट नहीं होने की बात कही गई। अब आंकड़े की सच्चाई पर गौर करें। सर्व शिक्षा अभियान की रिपोर्ट के अनुसार वर्ग एक से आठवीं में 4,02,000 हजार बच्चे नामांकित हैं जिसमें 3,03,207 बच्चों को किताबें उपलब्ध कराई गई तो वार्षिक परीक्षा 3,16,842 दे रहें हैं। जो नामांकन के विरुद्ध 79 प्रतिशत है। वहीं मध्याह्न भोजन योजना के अनुसार बच्चों की संख्या 4,08,245 है। यह फर्क कई सवालों को जन्म दे रहा है। कहा यह भी जा रहा है कि पोशाक व छात्रवृति योजना में घालमेल को लेकर नामांकित बच्चों की संख्या में अंतर है। अब आधार से जोड़ा जा रहा है तो वास्तविक आंकड़े सामने आ गए। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (सर्वशिक्षा) समर बहादुर ¨सह बताते हैं कि अब तक 60 फीसद बच्चों को आधार से जोड़ा गया है।
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कोट
नामांकित व वार्षिक मूल्यांकन में शामिल बच्चों की संख्या में अंतर गंभीर मामला है। इसकी जांच की जाएगी।
- सुरेन्द्र कुमार सिन्हा, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जमुई।