बालिका शिक्षा को रिजल्ट दे गया झटका
जमुई। ड्रेस में गांव की तंग गलियों से निकलकर स्कूल पहुंचने वाली मुनिया में मायूसी है।
जमुई। ड्रेस में गांव की तंग गलियों से निकलकर स्कूल पहुंचने वाली मुनिया में मायूसी है। दरअसल, मैट्रिक की परीक्षा परिणाम ने बालिका की शिक्षा को झटका दिया है। मैट्रिक का रिजल्ट सरकारी मंशा के भी ठीक उलट है। साइकिल, पोशाक और छात्रवृत्ति सब बेकार साबित हो गए क्योंकि पढ़ाई तो मिली नहीं पर परीक्षा में कड़ाई ने इनके सपने को तोड़ दिया। यही वजह है कि बदतर व्यवस्था के बीच पढ़ने वाली गांव की बिटिया की आगे की पढ़ाई को झटका लगा है। जिले में इस बार 36.93 फीसद छात्राएं मैट्रिक परीक्षा में उत्तीर्ण हुई हैं। शिक्षा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017 में 14115 छात्राओं ने मैट्रिक की परीक्षा दी जिसमें 5212 छात्राएं सफल हुई, जबकि 8903 बच्चियां फेल हो गई। बोर्ड द्वारा घोषित परिणाम पर नजर डालें तो 801 बच्चियां प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुई हैं तो 2937 द्वितीय व 1474 तृतीय श्रेणी से पास हुई हैं। जिले में कई ऐसे भी विद्यालय हैं जहां छात्राओं के उत्तीर्ण होने की संख्या अंगुलियों में सिमट गई है। ऐसे में बालिका शिक्षा के प्रति सरकार की संवेदनशीलता पर सवाल उठना भी लाजिमी है। तंग व्यवस्था में बालिकाओं की शिक्षा को उड़ान देना अब शासन-प्रशासन दोनों के लिए चुनौती बन गया है। शैक्षणिक व्यवस्था में बदलाव नहीं हुआ तो रिजल्ट की मायूसी से बालिकाओं को उबरना कठिन होगा।
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कोट
नियमित पढ़ाई नहीं करना भी खराब रिजल्ट के पीछे एक बड़ा कारण है।
सुरेन्द्र कुमार सिन्हा, डीईओ
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बालिका शिक्षा की व्यवस्था
जिले में कुल हाईस्कूल- 138
प्रोजेक्ट बालिका स्कूल- 5
राजकीय बालिका हाईस्कूल- 3