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मां के पसीने से खिल रहे हैं फूल

जमुई। कचहरी चौक के समीप फुटपाथ पर तिरपाल बिछ गई है।

By Edited By: Published: Sat, 01 Oct 2016 07:05 PM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2016 07:05 PM (IST)
मां के पसीने से खिल रहे हैं फूल

जमुई। कचहरी चौक के समीप फुटपाथ पर तिरपाल बिछ गई है। उस पर चंद सौ रुपयों से एक दुकान सजी है। इसी दुकान में अपना पसीना बहाकर एक मां अपनी बच्ची को उड़ने का हौसला दे रही है। यह कहानी है महिलाओं को प्रेरणा देती राधा देवी की जो अपनी बेटी श्वेता को पढ़ा-लिखाकर एक सम्मानित पद पर देखना चाहती है। राधा सुबह से ही स्वतंत्रता सेनानी कार्यालय के समक्ष दुकान लगाती है और जीवन यापन के लिए पसीना बहाती है। चार सदस्यों के परिवार के इस परिवार में कोई पुरुष साथ नहीं है जो उन्हें मदद पहुंचा सके। इसी दुकान के सहारे उनके परिवार का पेट चलता है और बेटी श्वेता की पढ़ाई दिल्ली में चल रही है। मां राधा देवी बताती है कि जब उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अत्यंत ही खराब हो गई तो वर्ष 2014 में उन्होंने अपने पैरों पर खड़ा होने का निर्णय लिया ताकि अपने बच्चों का भविष्य संवार सके। उन्होंने मात्र दो हजार रुपए से अपनी दुकान खोली और अपने जीविका का साधन बना लिया। प्रतिदिन उक्त दुकान से डेढ़ सौ से दो सौ रुपए तक की प्रतिदिन आमदनी होती है जिससे उनका घर परिवार चलता है। दिल्ली यूनिवर्सिटी में स्नातक की पढ़ाई कर रही श्वेता बताती है कि पैसे की कमी के कारण वह पढ़ना छोड़ देना चाहती थी परंतु मां के हौसलों ने उसे साहस दिया और वे पढ़ने के लिए दिल्ली आ गई है। इधर मां राधा देवी को प्रसन्नता यह है कि उनकी बेटी अच्छे विश्वविद्यालय में पढ़कर ऊंचे पद के लिए चयनित हो सकेगी। फिलवक्त मां राधा देवी का यह परिश्रम और त्याग हर मां को सशक्त होने के लिए प्रेरित कर रहा है। यूं कहें कि मां दुर्गा के समान राधा देवी अपने बच्चों के लिए कुछ भी करने को तैयार है।


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