सात निश्चय में गली-नाली निर्माण को ले सस्पेंस
जमुई। मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजना के तहत गली-नाली निर्माण को लेकर सस्पेंस बरकरार है।
जमुई। मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजना के तहत गली-नाली निर्माण को लेकर सस्पेंस बरकरार है। मुखिया से लेकर अधिकारी कोर्ट का फैसला आने तक योजना में हाथ लगाने से कतरा रहे हैं। मामला 14वें वित्त आयोग की राशि का मुख्यमंत्री गली-नाली निर्माण से संबंधित खाता में हस्तांतरण से जुड़ा है। जिले भर में सात निश्चय के खाते में तकरीबन डेढ़ माह से करीब 20 करोड़ की राशि जमा हो जाने के बावजूद अब तक एक भी पंचायत में काम शुरू नहीं हुआ है। अमूमन पंचायतों की आबादी के अनुसार 10 लाख से लेकर 24 लाख रुपये तक आवंटित किया गया है।
गौरतलब हो कि 2 अक्टूबर 16 को बड़े तामझाम के साथ सात निश्चय योजना का शुभारंभ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया गया था। सात निश्चय में वार्ड स्तर को ईकाई मानकर वार्ड समिति का गठन किया गया था। 14वें वित्त आयोग से प्राप्त राशि का 80 प्रतिशत तथा पंचम वित्त आयोग की राशि को मिलाकर गांव की गली व नाली का निर्माण किया जाना था। इस बात को लेकर ग्राम प्रधानों के बीच नाराजगी है। ग्राम प्रधानों का तर्क है कि केन्द्र सरकार से 14वें वित्त आयोग की राशि का हस्तांतरण अन्य खाते में किया जाना गलत है। महादेव सिमरिया पंचायत के मुखिया देवेन्द्र कुमार ¨सह कहते हैं कि हाईकोर्ट ने भी 14वें वित्त आयोग की राशि का हस्तांतरण गलत माना है। इस बात को लेकर अरवल जिला मुखिया संघ की ओर से दायर याचिका पर कोर्ट ने अगली सुनवाई तक राशि के हस्तांतरण पर रोक लगा दिया है। उन्होंने कहा कि वित्त आयोग की सिफारिश पर केन्द्रीय राशि के खर्च में पंचायती राज संस्थान को स्वायतता मिली हुई है कि प्राथमिक क्षेत्रों में विकास के लिए उन राशि का खर्च हो लेकिन राज्य सरकार मुख्यमंत्री के सात निश्चय को अमल में लाने के लिए पंचायती राज को संविधान प्रदत्त स्वायतता छीन रही है। हाईकोट में अगली सुनवाई की तारीख 24 मार्च को निर्धारित है। जिले के मुखिया को हाईकोर्ट के फैसले का बेसब्री से इंतजार है।